किसलिए...
किसलिए
फिर दर्द को मेरी याद आयी क्यों कर,
ये डोर टूटी हुई फिर जुड़ने आयी किसलिए ???
फिर क़दमों में मेरे आवारगी आयी क्यों कर,
ये बीते हुए लम्हों में रवानगी आयी किसलिए ???
फिर दीवाने दिल में बेचारगी छाई क्यों कर,
ये कुल्मुलाहते अहसास और वोही दीवानगी छाई किसलिए ???
फिर खो जाने कि बेताब सी एक चाहत अपनाई क्यों कर,
ये ख्वाहिश कि दर्द-ए-दिल पायेगा राहत अपनाई किसलिए ???
-अंकित