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2019

वादा

वादा

अक्सर सोचता हूं, कभी नहीं बोलता हूं

यादों में ईद दीवाली सभी मेरे त्योहार है
यादों का आइना यूं टूट जाता है मेरा
कि आज धर्म का ठेकेदार बताता है
कौनसा सा त्योहार मनाना है मुझे

सभी रिश्तों के मायने होना ज़रूरी तो नहीं
लेकिन बिना मायने के रिश्ते निभाना शायद मुमकिन तो नहीं

हर दोस्ती की अपनी गहराई होती है
लेकिन उस गहराई का नाप हो पाना शायद मुमकिन तो नहीं

नफरतों के बाज़ार में भाषा से रंग तक सब बिकता है
लेकिन धर्म से सस्ता और टिकाऊ शायद कोई हथियार तो नहीं

चलो आज मिल कर ये वादा कर लें
हमारे घरों में रोशनी हर त्योहार पर होगी
ना धर्म की बंदिश होगी ना भाषा की सीमा होगी
ना घृणा के लिए हमारे दिलों में जगह होगी
हां प्रेम और आदर की असीमित आपूर्ति होगी

-अंकित.

जड़

जड़

सिखा सकता है कौन पौधे को, क्या करना है कब किसको,
तू जड़ को जड़ ही रहने दे, उसको व्यर्थ ही चेतन ना कर।

जो लगे फल तो कभी गुमां ना कर,
फलों को गिन उनका विश्लेषण ना कर।

बदलती ऋतु में गिरते पत्तों का शोक ना कर,
संभाल वो जो हरे हैं, उनको भी रोक मत पर।

मोल रचेयता का चुकाना बन के मिट्टी, उनकी किस्मत है,
माली तू सींचते रह और सृष्टि पे विश्वास तो कर।

गर जड़ में जादू है तो हरियाली फिर से आएगी,
लेकिन जो सड़ चुकी हो जड़ तो मिट्टी कुछ कर ना पाएगी।

कर उसका त्याग नए पौधे को तू दे अब घर,
है तू माली और ये तेरी कर्मभूमि है,
जड़ को जड़ ही रहने दे, उसको व्यर्थ ही चेतन ना कर।

-अंकित.

खूबसूरत बला

खूबसूरत बला

मेरे माता पिता ने मुझे सदा ही ये सिखाया है
किसी लड़की का ना हो अपमान चाहे जान गंवानी पड़े

रहे कोशिश की घर की लक्ष्मी को कोई दुख ना हो
फिर रोटी सूखी चाहे खुद को क्यूं ना खानी पड़े

हूं ऐसे परिवार से, जहां फर्क नहीं है बहुओं से,
जहां लड़की जन्मी है दुआओं से तो ऐसे विचार फिर में रखता हूं,
औरत को समाधिकार समझता हूं
मज़ाक अपनी जगह सही है लेकिन,
अबला को बला नहीं समझता हूं

ना बुलाओ अबला को खूबसूरत बला,
किसी की बेटी किसी की मां है वो

जो कर दिया तुम्हे पाल के काबिल इतना
किसी औरत की मेहनत उसी की कला है वो

डूब जाते जिंदगी के तूफानों में हम
किसी देवी की दुआ है जो टला है वो

ना बुलाओ अबला को खूबसूरत बला,
किसी की बेटी किसी की मां है वो

-अंकित.

मेरी नन्ही परी

मेरी नन्ही परी

डर लगता था कभी जब होती थी खड़ी
और हाथ अचानक मेरा बन जाता था उसकी सुरक्षा कड़ी
वो मेरी नन्ही परी हो रही है बड़ी

अभी कल ही तो मेरी गोदी में आई थी
आज उसकी गहरी सोच हर्षाती है मुझे हर घड़ी
वो मेरी नन्ही परी हो रही है बड़ी

कल जो झूठमूठ के आंसुओं से अपनी बात मनवाती थी
आज सहेलियों की गुत्थियां सुलझाती है सहजता से बड़ी
वो मेरी नन्ही परी हो रही है बड़ी

कल झूठे फोन करवाती थी कहानियां पढ़वाती थी
आज फोन स्वयं कर लेती है और पुस्तकों से है दोस्ती बड़ी
वो मेरी नन्ही परी हो रही है बड़ी

कल जिस के हाथों को पकड़ के कलम चलवाई थी
आज उसी के हाथों से कागजों पर अद्भुत कृतियां चढ़ी
वो मेरी नन्ही परी हो रही है बड़ी

कल ही तो था कि वो हाथ छुड़ा के भागने को आतुर थी
आज नया शहर हो तो स्वत: उंगली पकड़ लेती है वो मेरी
हिरणी भी है शेरनी भी है चंचल भी है गंभीर भी है जो
वो मेरी नन्ही परी हो रही है बड़ी

-अंकित.