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ज़िन्दगी

मेरा लाडला

मेरा लाडला

वही रूह है, वही वफ़ा, पर अंदाज़ ज़रा मस्ताना है,
आंखों में नादानी वही, भोलापन वही पुराना है,
कल का संत "Magic" मेरा, आज बना "Music" शैताना है।

वो शांत सौम्यता छोड़ कर अब, शरारत साथ में लाया है,
मुखरता, चंचलता का भंडार बना उसको, स्वयं ईश्वर ने लौटाया है।

मौन नहीं, बेज़ुबान नहीं, अवगत है, अंजान नहीं, वो अपनी बात बोलता और बताता है,
कभी मटकते सर, कभी अलग भौंक से, कभी गीली नाक और कभी हर्षाती दुम से, नौटंकी कुछ भी करके, बस अपनी बात मनवाता है।

है माहिर हर भाव को पढ़ने में वो, बस निस्वार्थ प्यार दर्शाता है,
मानवों से अधिक समझदार वो, नित नई भाषा मुझे सिखाता है।

है इतना छोटा सा, पर समय का मोल दिखाता है,
जब हो वक्त मेरे दफ्तर का तो शांती से सो जाता है।

पर शाम के पाँच बजते ही वो, अपनी 'squeaky ball' ले आता है,
दफ्तर की कुर्सी से उठने को, वो मुझे विवश कर जाता है।

"10 minutes puppy" - कहूँ तो वो अधीर जताता है,
बिन घड़ी, सही दस मिनट में वो फिर से याद दिलाता है।

प्रेम, वफ़ा, क्रोध व हर्ष - सब महसूस वो करता है,
पर प्राथमिकताओं को, हमसे बेहतर वो समझता है।

है मेरा लाडला वो, दीदी का पहरेदार भी है,
है मां का चहेता वो, हम तीनों की जान भी है।

वफादारी की मूरत है वो, न कोई कपट, न कोई छल,
जो हर इंसान होता ऐसा ही, तो जीवन होता कितना सरल।

-अंकित।

उम्र का हिसाब

Prologue

When I shared these lines, some felt a sense of sadness in them - perhaps even a mourning for what has passed, but as I look at these words, I see something very different. I see gratitude.

In our culture, we often feel that admitting we miss someone or something is a sign of being "low." We think that acknowledging a "muffled call" or a "shorter evening" means we aren't happy with the present, but for me, it is the exact opposite.

I am able to look back at our colourful past only because my "today" is stable and secure. My home, my wife’s grace, my daughter’s growing light, my parent's blessings, my brother's happiness are the anchors that give me the courage to be this honest. I don't write these lines because I am depressed; I write them because I am whole.

This poem is a Tribute. It is a salute to the friends who taught me the "art of living" and the memories that decorate my current life. It is my way of saying that the passion hasn't died - it has simply matured.

So, don’t read these words and feel sorry for me. Read them and know that I am enamoured with this journey. I am not stuck in the past; I am just carrying it with me as a source of strength. And when we meet again - whenever and wherever that may be - we won't just be "remembering" the old days. We will be bringing that same fire into a brand new chapter.

उम्र का हिसाब

ये उम्र का चढ़ाव ले आया यादों का सैलाब देखो,
है नया पड़ाव पर फिर वही बेहिसाब सा हिसाब देखो।

भाव के दबाव से हाल आंखों का खराब है,
नहीं प्यार का अभाव पर दिल तो लाजवाब है।

और तो सब ठीक है बस ख्वाहिशें कुछ कम सी हैं,
उम्मीद तो पहली सी है बस पुकार थोड़ी मद्धम सी है।

राहें तो पहली सी हैं बस बेचैनियाँ हमकदम सी हैं,
आरज़ू तो पहली सी हैं बस बाहें जरा बेदम सी हैं।

सांसे तो पहली सी हैं बस आहें थोड़ी गरम सी हैं,
किताबें तो पहली सी हैं बस कहानियां नरम सी हैं।

दीवानगी तो पहली सी है बस आवारगी कम कम सी है,
शायरी तो पहली सी है बस शाम बड़ी कम कम सी है।

शान तो पहली सी है बस पहचान थोड़ी कम सी है,
दुनिया तो पहली सी है बस इंसानियत कुछ कम सी है।

खुशियां तो पहली सी हैं बस मुस्कुराहटें कुछ कम सी हैं,
घड़ियां तो पहली सी हैं बस पलों की कमी सी है।

कामयाबी तो पहली सी है बस जश्न में कमी सी है,
दोस्ती तो पहली सी है बस तुम सबकी कमी सी है।

कभी सोचते नहीं थे कुछ करने से पहले हम सारे,
आज करते नहीं कुछ भी बस सोचते रहते हैं हम सारे।

कभी हम जिम्मेदारी थे और आज जिम्मेदारी हमारी है,
कभी हम कल थे, आज नए कल की खुशियां हमारी हैं।

वो वक्त जब तुम सभी का साथ था, आज मेरी ताकत है,
तुम सबसे ही सीखी मैंने, ज़िंदगी जीने की नज़ाकत है।

वो अतीत कोई बोझ नहीं, मेरे वर्तमान का श्रृंगार है,
उन यादों से ही महकता, मेरा ये छोटा सा संसार है।

इस पड़ाव पर आ कर अब, उस सफर को सलाम करता हूँ,
कमियों को भुला कर, मैं सिर्फ जीत की हुंकार भरता हूँ।

मैं उदास नहीं, मैं तो बस अपनी 'हस्ती' पर निहाल हूँ,
कि तुम सबके साथ से ही, मैं आज इतना बेमिसाल हूँ।

न हो जाना कहीं दुखी ये मेरी शब्दावली पढ़ कर,
किया है हमारे बंधन का इजहार मैने, ये श्रद्धांजलि गढ़ कर।

मिलोगे जब तो, साथ मिल कर, कल को आज कर देंगे,
शायद तरीका पहला सा न हो, कुछ नया अंदाज कर लेंगे।

हंसेंगे थोड़ा हम कि फिर जीवन में खोया वो रंग भर देंगे,
हो कर सभी शामिल बड़े प्यार से गाली गलौच कर लेंगे।

-अंकित।

भाई

भाई

फिर साल बीता एक और पर थमा अहसास भैया का है,
है आज जन्मदिन तो तुम्हारा पर जश्न तो ये भैया का है।

हो तेरी हर ख्वाहिश तुझे हासिल, ख्वाब तो ये भैया का है,
कभी जब जिंदगी आजमाए तो डरना मत के साथ तो भैया का है।

हर चुनौती हो हंस के कबूल, तुझ पर दुआओं का साया भैया का है,
बस खुश रहना मुस्कुराना तू हर पल कि तू हौसला भैया का है।

फिर साल बीता एक और पर थमा अहसास भैया का है,
है आज जन्मदिन तो तुम्हारा पर जश्न तो ये भैया का है।

-अंकित।

आश्वासन

आश्वासन

भीतर मन के क्या है बोल दिया तो,
द्वार वो अपने डर का खोल दिया तो,

सर फिर ऊपर बोलो रख पाओगे कैसे,
जमाने को दबाने से रोक पाओगे कैसे।

निराकार डर को शब्दों से आकार मत दो,
करते रहो श्रम और स्वाभिमान को बल दो।

रहता नहीं वक्त कभी एक जैसा ये जान लो अब,
रहो आश्वस्त, भले का भला सदा ही करेगा रब।

अंकित।

अनकहा साथ

अनकहा साथ

यह जीवन
अनगिनत रंगों जैसा है
केवल इसलिए
कि तुम इस सफर में
मेरे साथ चल रही हो...

मैने अपने दिन
सही राह पर बिताए हैं

क्योंकि तुम मेरी वो धूप हो
जो मेरा हर अंधकार हर देती है...
क्योंकि तुम मेरी वो सोच हो
जो मेरे ज्ञान को बल देती है...

और रातें?
बिना चिंता के नींद आ जाती है
क्योंकि तुम्हारे साथ साथी

सारे कठिन निर्णयों का
सहज संतुलित चिंतन
हो जाता है...

तुमसे हुई सभी
छोटी बड़ी बातों से
मुश्किल से मुश्किल काम
आसान बन जाता है...

यह जीवन
अनगिनत रंगों जैसा है
केवल इसलिए
कि तुम इस सफर में
मेरे साथ चल रही हो...

अंकित।

मैं

मैं

अपना अक्स जिसमे दिखे वो आइना बना दिया
हालात ने मुझको इतना कमीना बना दिया

पत्थर को जो तोड़े वो लोहा बना दिया
वक़्त की तपिश ने मुझे हथौड़ा बना दिया

चीर दे जो अँधेरे को वो जुगनू बना दिया
खुदा ने दिखने में मामूली एक कीड़ा बना दिया

सभी को जो चुभ जाए वो काँटा बना दिया
कुदरत ने मुझे गुलाब का पहरेदार बना दिया

बहुत सोचा बड़ा पूछा तो किसी ने जता दिया
बना के चाँद उनको मुझे चाँद का दाग बना दिया

-अंकित.

गद्दार

गद्दार

जिंदगी का खेल खेलने में नहीं,
फर्क इसमें है की खिलाड़ी क्या सोचते हैं

मैं सिर्फ जीत सोचता हूँ और बाकी,
मेरी हार के पल में अपनी ख़ुशी खोजते हैं

मुझे हरा सके अब ऐसे दुश्मन कहाँ दिखते हैं,
हुई यदि हार तो कारण सदा द्रोही ही बनते हैं

खंज़र उनके हाथों सने खून में हर बार दिखते है,
जो बुला कर दोस्त पीछे पीठ पर वार करते हैं

किस्मत अच्छी है मेरी के मेरे दोस्त कम बनते हैं,
लेकिन जो बनते है वो कभी भी गद्दार नहीं निकलते हैं

-अंकित.

याद

याद

जीवन के महाभारत में,
मैं अर्जुन तो याद सारथी है।

मेरा वर्तमान मेरी यादों से सुधरता है,
फिर भी उसका दामन छोड़ना तो पड़ता है।

नयी यादें बनाने के लिए
हर क्षण जीना पड़ता ही है।

-अंकित.

खुशनुमा ज़िन्दगी

खुशनुमा ज़िन्दगी

बहुत खुशनुमा ज़िन्दगी हुआ करती थी,
कभी ग्यारह कभी बारह बजे नींद खुला करती थी

जब मेरी ज़िन्दगी में तुम आ गयीं,
मेरी रातों की नीद उड़ा गयीं

फिर भी बहुत खुशनुमा ज़िन्दगी हुआ करती थी,
के ख्वाब बिना नींद के आँखें देख लिया करती थीं

उस दिन जब हमारी शादी के लिए तेरी माँ हो गयी राजी,
तेरे बाप ने की खिट-पिट पर मेरे बाप ने मार ली बाज़ी

सर पे पहने सेहरा हो घोडी पर सवार आ गया घर तेरे,
सास ससुर ने रोते हुए किया कन्यादान पड़ गए फेरे

नयी ज़िन्दगी साथ गुजारने के हुए दृड़ जब इरादे,
पंडित ने संस्कृत में करवा दिए अनेक अज्ञात वादे

बहुत रोमांचक मोड़ पे ज़िन्दगी दिखा करती थी,
कभी सात कभी आठ बजे नींद खुला करती थी

बीते कुछ साल तो प्यारी हमारी बिटिया ज़िन्दगी में आ गयी,
इस बार मेरी रातों की नींद उसकी अंखियों में समां गयी

उसके नखरों और अदाओं में वक़्त गुज़र जाता,
कभी हंसती तो मैं हँसता वो रोती तो झुंझला जाता

अब उसकी जीवनी लिखने का ज़िम्मा मिल गया है,
कोई कुछ भी बोले काम कठिन ये भी बड़ा है

मेरे हर जवाब पे सौ नए सवाल खड़े करती है,
आजकल मेरे माथे की नस साफ़ दिखा करती है

उसको स्कूल पहुंचाने की हर सुबह रहती जल्दी है,
कभी पांच कभी छः बजे नींद खुला करती है

फिर भी खुशनुमा ज़िन्दगी बहुत लगती है...
फिर भी खुशनुमा ज़िन्दगी बहुत लगती है...

-अंकित

आवाज़ !!!

आवाज़

बहुत उदास हूँ, बड़ा हताश हूँ
आज मेरे दोस्त
ज़िन्दगी बेबुनियाद लगती है,
आज मेरे दोस्त

हिम्मत की कमी लगती है,
मन विचलित और घुटन लगती है
आज मेरे दोस्त

ज़िन्दगी बड़ी नीरस लगती है
आज मेरे दोस्त

हर सोच हारी हुई और
हर सांस भारी सी लगती है
आज मेरे दोस्त

मरने के सौ बहाने दीखते हैं
पर जीने की एक ख्वाहिश नहीं दिखती
आज मेरे दोस्त

काली रात की सुबह नहीं दिखेगी,
अँधेरी गुफा है और रौशनी नहीं मिलेगी
क्यूँ ऐसा लगता है
तुझसे आखरी एक मुलाक़ात
न हो सकेगी मेरे दोस्त

ख़ुशी तो भूल चुका हूँ
लेकिन हार अभी स्वीकार नहीं
मुझे संभाल ले तू आ कर
या कह दे मेरी दरकार नहीं तुझे
आज मेरे दोस्त...

-अंकित.