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2011

लोकपाल

अन्ना हजारे के आन्दोलन से मैं पूरी तरह सहमत हूँ और मेरी ये कविता उनके ही प्रयास को समर्पित है. वो एक ऐसे बुजुर्ग हैं जिन्होंने देश की हरेक पीढ़ी को समान रूप से प्रभावित किया है और उनके आन्दोलन व उनकी समस्त टीम पर जिस प्रकार से नित नए इलज़ाम थोपे जा रहे हैं वह निश्चय ही एक घिनौनी साजिश है. जिस व्यक्ति ने सब कुछ त्याग कर देश को जीवन समर्पित कर दिया हो उसके साथ ऐसा व्यहवार सत्ताधारी नेताओं की सोच की दुर्गति दर्शाता है.

लोकपाल

यहाँ अभी इसी वक़्त तुम बिन संशय ये संकल्प करो
भ्रष्टाचार मिटाने के निश्चय को एकदम दृड़ करो

निकल पड़े हो विजय मार्ग पर तो अपनी आवाज़ बुलंद करो
धर्म भाषा वर्ग और प्रादेशिक मतभेदों को बंद करो

क्या हो तुम भ्रष्ट? - हर चुने अपने नेता से अब तुम ये सवाल करो
मांगो प्रभावशाली लोकपाल विधेयक, और सशक्त लोकपाल अतिशीघ्र चुनो

रहो संगठित इतना की तुम खुद भी एक मिसाल बनो
करने दो षड़यंत्र कपटियों को, तुम बस गाँधी की चाल चलो

रहो अहिंसा के मार्ग पर सदा ही, ना कोई तुम वार करो
आखिर जीत तुम्हारी होगी, तुम सच्ची जयकार करो

-अंकित.

मेरी माँ

मेरी माँ

सूर्य पवन जल अम्बर और धरती - इन सबको जो नतमस्तक कर दे
दुःख, दर्द, तनाव और निराशा - इन सब को जो मिथ्या कर दे
है वो सच्चाई मेरी माँ

जिसके त्याग से संभव हूँ मैं
जिसके श्रम की मूरत हूँ मैं 
है वो सच्चाई मेरी माँ

सुखद स्मृति मेरा बचपन
मेरी हर हठ जिसका जीवन
है वो सच्चाई मेरी माँ

ताप करे शीतल नरम हथेली की जो शक्ति
जिसके ज्ञान की मैं हूँ अभिव्यक्ति
है वो सच्चाई मेरी माँ

बिना कहे ही जो सब सुन ले
उधडे रिश्तों को जो सिल दे
है वो सच्चाई मेरी माँ

सुख मेरा जिसको हर्षाये
दुःख मेरा जिसके नयन तराये
है वो सच्चाई मेरी माँ

जिसके अंक में है नहीं गणित
जिसके मन मैं हर पल अंकित
है वो सच्चाई मेरी माँ

सूर्य पवन जल अम्बर और धरती - इन सबको जो नतमस्तक कर दे
दुःख, दर्द, तनाव और निराशा - इन सब को जो मिथ्या कर दे
है वो सच्चाई मेरी माँ

-अंकित.

आवाज़ !!!

आवाज़

बहुत उदास हूँ, बड़ा हताश हूँ
आज मेरे दोस्त
ज़िन्दगी बेबुनियाद लगती है,
आज मेरे दोस्त

हिम्मत की कमी लगती है,
मन विचलित और घुटन लगती है
आज मेरे दोस्त

ज़िन्दगी बड़ी नीरस लगती है
आज मेरे दोस्त

हर सोच हारी हुई और
हर सांस भारी सी लगती है
आज मेरे दोस्त

मरने के सौ बहाने दीखते हैं
पर जीने की एक ख्वाहिश नहीं दिखती
आज मेरे दोस्त

काली रात की सुबह नहीं दिखेगी,
अँधेरी गुफा है और रौशनी नहीं मिलेगी
क्यूँ ऐसा लगता है
तुझसे आखरी एक मुलाक़ात
न हो सकेगी मेरे दोस्त

ख़ुशी तो भूल चुका हूँ
लेकिन हार अभी स्वीकार नहीं
मुझे संभाल ले तू आ कर
या कह दे मेरी दरकार नहीं तुझे
आज मेरे दोस्त...

-अंकित.

दीवानी

दीवानी

इस बंधन में तेरी बाँहों के देखो मैं थी सो गयी गयी !
सूरज की एक नई किरण मेरी निंदिया को देखो उड़ा गयी गयी !!

एक ठंडी लहर वो पुरवा की मेरे गाल को देखो छू गयी गयी !
उस जादू में तेरी बातों के देखो फिर मैं खो गयी गयी !!

आँख झरोखा बन मन की हर सोच जिया की डोल गयी !
मैं कृष्णा की मीरा बाई सी विष का अमृत पी गयी गयी !!

-अंकित.

मायूसी

मायूसी

आग ज़हन में इतनी की सूरज को सुलगा दिया
प्यास दिल में इतनी की सागर को सुखा दिया

बेताबी मन में इतनी की मुर्दे को उठा दिया
मायूसी मुझ में इतनी की पत्थर को रुला दिया

-अंकित.

सदा ...

सदा

मेरी आँखों में सदा छवि रही तेरी
मेरे दिल में सदा प्रीत रही तेरी

मेरी साँसों में सदा खुशबु रही तेरी
मेरे जिस्म में सदा आत्मा रही तेरी

तुझमें समां हूँ तो हर समां खूबसूरत है
तू नहीं साथ तो नहीं लगती जीने की जरूरत है

-अंकित

तू ...

तू

मेरा प्यार तू मेरी आशिकी,
मेरी साँसों में तू है घुली

मेरी धडकनें , मेरी आरज़ू
मेरी खुशियों में तू है रची

मेरे ख्वाब तू मेरी सोच है
मेरे मन में तेरी मूरत बसी

मेरी जान तू मेरी पहचान है
तेरे बिन मैं क्या ? कुछ भी नहीं ...

मेरे शब्द तू मेरा गीत है ...
बिन तेरे सनम मैं कवी नहीं ...

-अंकित.