दीवानी
दीवानी¶
इस बंधन में तेरी बाँहों के देखो मैं थी सो गयी गयी !
सूरज की एक नई किरण मेरी निंदिया को देखो उड़ा गयी गयी !!
एक ठंडी लहर वो पुरवा की मेरे गाल को देखो छू गयी गयी !
उस जादू में तेरी बातों के देखो फिर मैं खो गयी गयी !!
आँख झरोखा बन मन की हर सोच जिया की डोल गयी !
मैं कृष्णा की मीरा बाई सी विष का अमृत पी गयी गयी !!
-अंकित.