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राजनीती

सवाल

सवाल

खफा नहीं हूँ मैं,
बस कुछ सवाल मन में हैं।

क्यूँ है ऐसा की रंग की दीवार हर जन में है?
धर्म की दरार क्यूँ जब परवरदिगार सब में है?

नफरत का जहर क्यूँ जब प्रीत का अमृत हर दिल में है?
क्यूँ प्रेमियों के जनाजे और दहशतगर्दों की बरात दर पर है?

जानवर का इंसान से ज्यादा समझदार लगना, क्यूँ कर है?
बुद्धिजीवी ही इस दुनिया में लाचार और बीमार क्यूँ कर है?

धर्म विद्वान् कहते हैं खुदा के घर में देर है अंधेर नहीं है,
तो फिर अत्याचार बेहिसाब, नहीं कोई विराम, क्यों कर है?

खफा नहीं हूँ मैं,
बस कुछ सवाल मन में हैं।

-अंकित.

आज़ादी

आज़ादी

शहीद हुए जो देश की आज़ादी की खातिर
हुकूमत उनको दीवाना अराजक बुलाती थी

गोरों ने ऐसी चाल चली आज़ादी मिली स्वराज नहीं
भ्रष्टाचार की बिमारी ने सोने की चिड़िया के पर क़तर दिए

आज आजादी है कहने को लेकिन माँ बेटी की लाज नहीं
धर्म की आड़ में देखो आदम जीवन का मोल नहीं

देश गोरे व्यापारी चला रहे थे तब शहीदों ने ठानी थी
देश व्यापारी चला रहे हैं अब कुछ सरफिरे आगे आये हैं

सम्पूर्ण आज़ादी उनका मकसद है और पाने में वो सक्षम हैं
स्वराज मिलेगा जब सबको उस दिन के जश्न का मैं अभिलाषी हूँ

तब तक मेरा नमन उन्हें जिनकी शहादत कुछ रंग ले आई
तब तक मेरा नमन उन्हें जो उस जस्बे को वापस ले आए

-अंकित.

दिल्ली 2015

दिल्ली 2015

खुशनुमा बड़ा होता ये माहौल लगता है
उन्नति का सपना होता साकार लगता है

भ्रष्टाचार का वक़्त होता समाप्त दिखता है
स्वराज का बोल बाला दिल्ली में साफ़ दिखता है

आम आदमी का देश में होता सम्मान लगता
है केंद्र सरकार का ध्वंस होता अहंकार लगता है

आजादी के हर साल का होता हिसाब दिखता है
67 साल पर 67 सीट दिल्ली का प्यार दिखता है

-अंकित.

मतदान

मतदान

भाषा अलग धर्म अलग जाती अलग
देश तो एक है मगर सोच सबकी है अलग

देश से बढ़कर भाषा नहीं धर्म नहीं जाती नहीं
जिससे देश बंट जाये ऐसी सोच तो हरगिज़ नहीं

हिंसा बुरी गुंडागर्दी बुरी रिश्वतखोरी बुरी
इन कृत्यों में शरीक जो राजनीती वो सबसे बुरी

बुरा सुनना, बुरा कहना, बुरा देखना सब है बुरा
कर्त्तव्य से मुंह मोढना इन सबसे ज्यादा बुरा

मतदान सिर्फ अधिकार है यह सोचना होगा गलत
अपना कर्त्तव्य इसको न मान के वोट न करना सबसे गलत।

वोट करें, देश की उन्नति में ये एक बहुत बड़ा योगदान है।

-अंकित.

लघु पंक्तियाँ

लघु पंक्तियाँ


ना मारो मुझे पत्थर की तुम्हे तकलीफ पहुंचेगी,
जो मेरी जान निकली तो तुम्हारी रूह कुरेदेगी।


मेरे महबूब तेरे दीदार को एक अरसे से तरसे हम,
बरसों बरस बाद बादल भी जो बरसे तो बरसे कम।


किया मेरी मुहब्बत ने उनको दीवाना यूँ
वो ले बैठे भरी महफिल में नाम मेरा;
अदा उनकी नादाँ लगती ना जाने क्यूँ
जिसकी हिफाज़त बना है अब काम मेरा।


चमत्कार होते हैं यदि आस्था रखो तो,
सारे काम होते हैं निष्ठा यदि सच्ची हो,
होगा प्रगतिपथ पर देश,
स्वराज लाके तुम देखो तो।


आज भी हम सबके दिलों में प्यार बाकी है
दिखा दो दुनिया को धर्म बाँट सकता नहीं
कि अभी भी इन्सानियत पर
देख लो सबका विश्वास बाकी है

कोई ये ना सोचे कि
वो हिन्दू है, मुस्लमान है, सिख है या इसाई
सोचे तो बस ये सोचे की
भारतीय होने का क्या अभी गर्व बाकी है।


चिंता करना व्यर्थ है
क्यूंकि ये चुनाव नहीं संघर्ष है,
क्रांति का शुभारम्भ है,
तुम इसमें साथी साथ हो,
इसका मुझे हर्ष है।


अभी सिर्फ शुरुआत है और उमड़ा इतना जनसैलाब है,
भरी सिर्फ हुंकार है तो घबरायी भ्रष्टाचारियों की जमात है।


मदिरा से मंदिर तक, चोरी से रिश्वतखोरी तक,
हथकंडे सभी अपनाते हैं कांग्रेस से बीजेपी तक,
करो पापियों का बहिष्कार,
चुनो आप की सरकार।


युवाओं को काम मिले शिक्षा के साथ
न्याय सबको मिले दवा व इलाज़ के साथ
स्वच्छ पानी सर पे छत सुरक्षा के साथ
सुन्दर सुखद भारत स्वराज के साथ


नमो नमो के जाप को छोड़ो,
बेईमानी के साथ को छोड़ो।

धार्मिक मतभेद को छोड़ो,
स्वराज से अपने आप को जोड़ो।


जीत का दम भी भरते हैं और करोणों स्वाहा भी करते हैं।
गर जीत सुनिश्चित है तो चुनाव से पहले ये गठबंधन क्यूँ करते हैं?


राजनीति का अंदाज़ बदल दो, राज के बदले स्वराज को बल दो,
भारत की तकदीर बदल दो, किसी और के बदले आप को बल दो।


वादे प्रगतीशील खुशहाल भारत के जब भ्रष्ट नेताओं के हवाले हो गए,
सपने उन्नति के धार्मिक मतभेद और वंशवाद में स्वाहा हो गए।


-अंकित.

आप

आप

बहुत सुने वादे पिछले साठ सालों में सरकारी
वो वादे जिनको निगल गयी भ्रष्टाचार की बीमारी

हो कर त्रस्त आम आदमी ने फिर कमान संभाली
ले हाथ में झाड़ू कस कमर आप पार्टी बना डाली

पुरातनवादी बड़े हँसे बोले है क्या बिसात तुम्हारी
लेकिन हंसने वालों को दी राजधानी में शिकस्त करारी

सत्ताधारी कुछ बौखला गए और कुछ ने चुप्पी धारी
जब पहले ही दिन से होने लगे वादापूर्ति के ऐलान जारी

नए हैं सियासत के खेल में अभी पहली ही है पारी
लेकिन स्वच्छ राजनीति पड़ेगी पापियों पर भारी

भारत का नवनिर्माण है यहाँ चलेगी अब ईमानदारी
आम आदमी से सीख लो नेताजी या जेल जाने की कर लो तय्यारी

-अंकित.

लोकपाल

अन्ना हजारे के आन्दोलन से मैं पूरी तरह सहमत हूँ और मेरी ये कविता उनके ही प्रयास को समर्पित है. वो एक ऐसे बुजुर्ग हैं जिन्होंने देश की हरेक पीढ़ी को समान रूप से प्रभावित किया है और उनके आन्दोलन व उनकी समस्त टीम पर जिस प्रकार से नित नए इलज़ाम थोपे जा रहे हैं वह निश्चय ही एक घिनौनी साजिश है. जिस व्यक्ति ने सब कुछ त्याग कर देश को जीवन समर्पित कर दिया हो उसके साथ ऐसा व्यहवार सत्ताधारी नेताओं की सोच की दुर्गति दर्शाता है.

लोकपाल

यहाँ अभी इसी वक़्त तुम बिन संशय ये संकल्प करो
भ्रष्टाचार मिटाने के निश्चय को एकदम दृड़ करो

निकल पड़े हो विजय मार्ग पर तो अपनी आवाज़ बुलंद करो
धर्म भाषा वर्ग और प्रादेशिक मतभेदों को बंद करो

क्या हो तुम भ्रष्ट? - हर चुने अपने नेता से अब तुम ये सवाल करो
मांगो प्रभावशाली लोकपाल विधेयक, और सशक्त लोकपाल अतिशीघ्र चुनो

रहो संगठित इतना की तुम खुद भी एक मिसाल बनो
करने दो षड़यंत्र कपटियों को, तुम बस गाँधी की चाल चलो

रहो अहिंसा के मार्ग पर सदा ही, ना कोई तुम वार करो
आखिर जीत तुम्हारी होगी, तुम सच्ची जयकार करो

-अंकित.

कसूर

कसूर

शाम फुर्सत की मिल जाए, दुआ हर इबादत में ये माँगी
पायी फुरक़त, कोई हमको समझाए, है मेरा कसूर कहाँ ?

हरेक रात चांदनी आये, दुआ हर इबादत में ये माँगी
चाँद के साथ बादल भी आये, है मेरा कसूर कहाँ ?

खुशनुमा हर सवेरा हो पाए, दुआ हर इबादत में ये माँगी
खबरनामा खून से रंगा नज़र आये, है मेरा कसूर कहाँ ?

-अंकित

सिपाही !!!!

सिपाही

सुनते हैं बहुत शोर
हम मैदाने जंग में

हो किसी की भी जीत
है इस मैदान की ये रीत
जान देनी है और लेनी है
दीवानगी कहो, बोलो देश-प्रीत
होती है खून की कीमत
कम मैदाने जंग में

सुनते हैं बहुत शोर
हम मैदाने जंग में

बैठे रह्ते हैं राजनेता
आरामदेह कुर्सी पर
सुरक्षा में वो दूर
नहीं आते कभी मैदाने जंग में

सिपाही की जान का
हो जाता है सौदा वहीं
कोसों दूर मैदाने ज़ंग से
हाँ तोड देता है वीर सिपाही
दुशमन की हिम्मत और अपना
दम मैदाने जंग में

सुनते हैं बहुत शोर
हम मैदाने जंग में

ऑ मेरे देश के वीर
तुझे मेरे शत-शत प्रणाम
तेरी हर कुर्बानी हर वीरगती को
देते हैं हम लाखों लाख सलाम

जय हिन्द !!!!

-अंकित।