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आज़ादी

आज़ादी

शहीद हुए जो देश की आज़ादी की खातिर
हुकूमत उनको दीवाना अराजक बुलाती थी

गोरों ने ऐसी चाल चली आज़ादी मिली स्वराज नहीं
भ्रष्टाचार की बिमारी ने सोने की चिड़िया के पर क़तर दिए

आज आजादी है कहने को लेकिन माँ बेटी की लाज नहीं
धर्म की आड़ में देखो आदम जीवन का मोल नहीं

देश गोरे व्यापारी चला रहे थे तब शहीदों ने ठानी थी
देश व्यापारी चला रहे हैं अब कुछ सरफिरे आगे आये हैं

सम्पूर्ण आज़ादी उनका मकसद है और पाने में वो सक्षम हैं
स्वराज मिलेगा जब सबको उस दिन के जश्न का मैं अभिलाषी हूँ

तब तक मेरा नमन उन्हें जिनकी शहादत कुछ रंग ले आई
तब तक मेरा नमन उन्हें जो उस जस्बे को वापस ले आए

-अंकित.

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