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2012

कारण !!!

कारण

बड़ा मौन बैठा था ,सभी आसान दिखता था,
की नहीं सोचता जब कुछ तो लिखता नहीं हूँ मैं।

मुझे सोचने पर कर दिया मजबूर दुनिया ने,
अब लिख रहा हूँ, नहीं रुक पा रहा हूँ मैं।

आज मेरे अन्दर का कवी जागा हुआ है,
सारे ज़माने का खौफ़ मुझसे भागा हुआ है।

बसेरा मेरा कुछ इस तरह जगमगाया हुआ है,
हर शख्स मेरे मोहल्ले का शरमाया हुआ है।

चंदा आसमान में यूँ छाया हुआ है,
हर तारा अपने वजूद पर चकराया हुआ है।

अक्सर मैं छुपता हूँ जिस ज़माने से,
आज ज़माना वही मुझसे घबराया हुआ है।

-अंकित.

शिकायत !!!

शिकायत

बड़े दिन हुए सरकार की झलक दिखी नहीं,
भुला बैठे वो हमें, या फुर्सत मिली नहीं?

माना नए दोस्त की है दोस्ती बहुत प्यारी,
पर पुराने यारोँ से भी रहे मुलाक़ात ज़ारी।

गर दिया शिकायत का मौका तो लगेगा सौबत सही नहीं,
के नए के लिए पुराने को भुला देना आदत भली नहीं।

-अंकित.