दो-चार-लाइना¶
अतीत
अतीत
कहने को तो साल पच्चीस गए हैं बीत
पर आज भी है याद हर एक वो रीत
वो कमाल का जश्न वो दोस्ती की जीत
वो सेंगू के बेमिसाल ठुमके
और मिश्रा के अद्भुत गीत
वो जस्सी और ओशो की टाइटैनिक वाली यारी
एल्विन की कप्तान वाली वो अटूट पारी
वो विकास का क्रिकेट से प्रेम इतना भारी
कि हो भारत या हॉलैंड, देखता था वो बल्लेबाजी सारी
वो सुवो, बोजो और पट्टू का एक कमरे में रहना
वो कल्लू का होके टल्ली, जाके वैन में सोना
और सत्तू का हॉस्टल की खिड़की से लेके बोतल संभलना
कुमरवा और संजीव का वो गहरा मनन चिंतन
विषय चाहे गणित हो या हो मस्ती भरा मंथन
वो रनिया की बातें और उसकी नौटंकी बेशुमार
टॉपर होने के जुनून में हप्पू होनहार
घोड़े और नवाब की वो जबरदस्त जोड़े दारी
इन दोनों का था साथ तो थी तिकड़ी हमारी
वो मेरे रूमी का धैर्य से दुनियादारी सिखलाना
कभी गुस्से से कभी प्यार से हर बात समझाना
तुम सभी थे साथ जब मिली मुझे मेरी प्रीत
हम दोनों अक्सर याद करते हैं वो अतीत
कहने को तो साल पच्चीस गए हैं बीत
पर आज भी है याद हर एक वो रीत
वो कमाल का जश्न वो दोस्ती की जीत।
-अंकित.
जन्मदिन पर दोस्तों की यादें
जन्मदिन पर दोस्तों की यादें
साल अभी तीन है बाकी पचास का होने को,
फिर भी बड़ा हुआ शोर लेकर मेरे जन्मदिन को।
यादों का सैलाब कुछ आया ऐसे,
वक्त से चुरा लिए हों तीन दशक जैसे।
तुम सभी के साथ को फिर मन यूं तरसा,
आंखों से बस यूं ही बिन मौसम पानी बरसा।
दोस्त तो कहने के लिए बहुत बनते हैं,
तुम जैसे लेकिन दुनिया में कहीं नहीं मिलते है।
नहीं मिलते इसका गम नहीं मुझको,
जब चाहूं पलक मूंद देख लूं मैं तुम सबको।
शुक्रिया इन प्यारी दुआओं का यारों
आज भी तुम सभी से है बहुत प्यार सालों।
-अंकित.
सीख
सीख
वो रिश्ते ही क्या जो किसी चीज़ के मोहताज़ हो जाएं
मशरूफ हम इतने भी नहीं की गिले शिकवे राज़ हो जाएं
कितना किसे मिलेगा इस धरती पर न इसका नाज़ हो जाए
करोगे क्या तुम उस नैमत से जरा इसकी भी लाज हो जाए
है सीख मेरे निर्माता की जो करे कर्म वो जांबाज़ हो जाये
है जुनूँ वो जांबाज़ होने का,तो या वो सच आज हो जाये
या फिर ऍ ख़ुदा मेरा भी कुछ इलाज़ हो जाये
-अंकित.
गद्दार
गद्दार
जिंदगी का खेल खेलने में नहीं,
फर्क इसमें है की खिलाड़ी क्या सोचते हैं
मैं सिर्फ जीत सोचता हूँ और बाकी,
मेरी हार के पल में अपनी ख़ुशी खोजते हैं
मुझे हरा सके अब ऐसे दुश्मन कहाँ दिखते हैं,
हुई यदि हार तो कारण सदा द्रोही ही बनते हैं
खंज़र उनके हाथों सने खून में हर बार दिखते है,
जो बुला कर दोस्त पीछे पीठ पर वार करते हैं
किस्मत अच्छी है मेरी के मेरे दोस्त कम बनते हैं,
लेकिन जो बनते है वो कभी भी गद्दार नहीं निकलते हैं
-अंकित.
लघु पंक्तियाँ
लघु पंक्तियाँ
ना मारो मुझे पत्थर की तुम्हे तकलीफ पहुंचेगी,
जो मेरी जान निकली तो तुम्हारी रूह कुरेदेगी।
मेरे महबूब तेरे दीदार को एक अरसे से तरसे हम,
बरसों बरस बाद बादल भी जो बरसे तो बरसे कम।
किया मेरी मुहब्बत ने उनको दीवाना यूँ
वो ले बैठे भरी महफिल में नाम मेरा;
अदा उनकी नादाँ लगती ना जाने क्यूँ
जिसकी हिफाज़त बना है अब काम मेरा।
चमत्कार होते हैं यदि आस्था रखो तो,
सारे काम होते हैं निष्ठा यदि सच्ची हो,
होगा प्रगतिपथ पर देश,
स्वराज लाके तुम देखो तो।
आज भी हम सबके दिलों में प्यार बाकी है
दिखा दो दुनिया को धर्म बाँट सकता नहीं
कि अभी भी इन्सानियत पर
देख लो सबका विश्वास बाकी है
कोई ये ना सोचे कि
वो हिन्दू है, मुस्लमान है, सिख है या इसाई
सोचे तो बस ये सोचे की
भारतीय होने का क्या अभी गर्व बाकी है।
चिंता करना व्यर्थ है
क्यूंकि ये चुनाव नहीं संघर्ष है,
क्रांति का शुभारम्भ है,
तुम इसमें साथी साथ हो,
इसका मुझे हर्ष है।
अभी सिर्फ शुरुआत है और उमड़ा इतना जनसैलाब है,
भरी सिर्फ हुंकार है तो घबरायी भ्रष्टाचारियों की जमात है।
मदिरा से मंदिर तक, चोरी से रिश्वतखोरी तक,
हथकंडे सभी अपनाते हैं कांग्रेस से बीजेपी तक,
करो पापियों का बहिष्कार,
चुनो आप की सरकार।
युवाओं को काम मिले शिक्षा के साथ
न्याय सबको मिले दवा व इलाज़ के साथ
स्वच्छ पानी सर पे छत सुरक्षा के साथ
सुन्दर सुखद भारत स्वराज के साथ
नमो नमो के जाप को छोड़ो,
बेईमानी के साथ को छोड़ो।
धार्मिक मतभेद को छोड़ो,
स्वराज से अपने आप को जोड़ो।
जीत का दम भी भरते हैं और करोणों स्वाहा भी करते हैं।
गर जीत सुनिश्चित है तो चुनाव से पहले ये गठबंधन क्यूँ करते हैं?
राजनीति का अंदाज़ बदल दो, राज के बदले स्वराज को बल दो,
भारत की तकदीर बदल दो, किसी और के बदले आप को बल दो।
वादे प्रगतीशील खुशहाल भारत के जब भ्रष्ट नेताओं के हवाले हो गए,
सपने उन्नति के धार्मिक मतभेद और वंशवाद में स्वाहा हो गए।
-अंकित.