2010¶
जीवन कथा
जीवन कथा
कभी जन्नत कभी दोज़क,
कभी धूमिल कभी रौनक,
जिंदगी चलती जाती है,
कहानी लिखती जाती है
चलो कुछ याद रखते हैं,
और कुछ भूल जाते हैं
कहानी मेरे जीवन की
और जिक्र हो सिर्फ जन्नत का
कहानी मेरे जीवन की
और जिक्र हो सिर्फ रौनक का
मेरे दोज़क से वो पल,
मेरे जीवन के धूमिल क्षण,
कभी ना याद रखना तुम,
मेरी खुशियो को संग रखना,
गमो को भूल जाना तुम ...
-अंकित
करवाचौथ का व्रत
करवाचौथ का व्रत
मेरी दीर्घायू के लिए क्यूँ तू ये कठिन संस्कार करती है ...
जब जानती है मेरी हर ख़ुशी को बस तू ही साकार करती है ...
मेरी दीर्घायू के लिए क्यूँ करवाचौथ का व्रत हर बार करती है ...
जब जानती है मेरी उम्र तो बस तेरे साथ की दरकार करती है ...
-अंकित.
हसीन लम्हा ...
हसीन लम्हा
समय से चुरा लिया लम्हा एक हंसीन मैंने
भुला के सारे ग़म बस बना दिया एक पल रंगीन मैंने
-अंकित.
निंदिया !!!
निंदिया
नैनों में निंदिया है
पर मुख पे है इनकार ...
स्वप्नलोक की अभिलाषी है
पर खेलने की है गुहार ...
सोने चली है मेरी नन्ही परी
पर दो कहानी का लगान बनेगा सरकार ...
-अंकित.