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प्रेम-रस

इंतजार

इंतजार

ये दिन कमबख्त जल्दी जल्दी कहां गुजरे
घड़ी- घड़ी घड़ी पर बेताब नजर जा ठहरे

तेरे लिए आंखे बिछाए बैठे हैं हम सब
ये दूरी का हमसे इम्तिहान बस हुआ अब

हवा भी यूं रही है भारी मायूसी भर के जाती थी
हूं पत्थर फिर भी सीने में टीस उठ ही जाती थी

तेरे दीदार को दीवाना तेरा अब यूं तड़पे
जैसे प्यासे रेगिस्तान में सूरज आग बरपे

आओगी तुम तो खुशी वापस आ ही जाएगी
मिलेगा सुकून दिल को तो नींद आ ही जाएगी

ये रात कमबख्त जल्दी जल्दी कहां गुजरे
घड़ी- घड़ी घड़ी पर बेताब नजर जा ठहरे

-अंकित.

Waiting

These cursed days crawl by, why won’t they flee?
Each tick of the clock traps my restless gaze endlessly.

For you, my eyes stay wide, my heart holds its place,
This distance is a trial—time slows its cruel pace.

The wind drags its feet, heavy with despair,
Stone-hearted, yet this ache still cuts through the air.

I burn for your sight, mad with thirst, scorched by flame,
Like deserts crave rain while the sun stakes its claim.

When you return, joy will rise once again,
Peace will cradle my heart, and sleep ease its pain.

These cursed nights crawl by, why won’t they flee?
Each tick of the clock traps my restless gaze endlessly.

Ankit.

जुदाई

जुदाई

बिन तेरे साथी लम्हा सदियों सा बन जाता है,
जुदाई का एहसास मुझे शूल सा चुभ जाता है

बिन तेरे सनम, सवेरा नया कहां जोश दिलाता है,
मेरा तो दिन गिनते गिनते ही पूरा दिन गुजर जाता है

बिन तेरे प्रिए, नहीं सुंदर शामें, कुछ भी कहां सुहाता है,
रातों को तेरे ही ख्यालों में डूबा, तेरा दीवाना सो जाता है

तुझसे जुदा हर पल जैसे एक इम्तिहान बन जाता है,
बिन तेरे वक्त बेवक्त प्रेमी तेरा बेवजूद हो जाता है

तेरी याद में मन उदासी का सागर बन जाता है,
घर नहीं लगता घर, तेरा आशिक बेघर सा हो जाता है

"कब, कहां, कैसे, क्यूं" का चक्रव्यूह सा बन जाता है
प्रश्नों से घिरा अंकित उसमें, अभिमन्यु सा खो जाता है

-अंकित.

Separation

Without you, love, each moment stretches into endless years,
This void between us stings—a thorn drowned in silent tears.

Without you, my sun, mornings dim, no spark to reignite,
My hours bleed into shadows, chasing day into the night.

Without you, my moon, no twilight hums, no dusk feels fair,
Lost in dreams of you, your lover drowns in sleepless despair

Each breath apart is a battlefield, a war I can not win,
Without you, time turns ghostly—I fade like smoke on wind.

My heart becomes a desert, parched by sorrow’s cruel drought,
Home feels foreign—your lover roams, unanchored, lost in doubt.

Trapped in mazes of “why, when, where,” I spiral without end,
Like a warrior bound by fate, I break—with no one to defend.

Ankit.

हमारी कहानी

हमारी कहानी

वक्त ने शुरू की थी लिखनी ये कहानी
कभी मैं दीवाना था कभी थी तू दीवानी

जो न हो कभी धूमिल थी वो दुनिया हमको बसानी
जहां तेरे साथ हर पहर हर घड़ी थी मुझको बितानी

नहीं छलके जहां कभी हमारी अंखियों से पानी
बस प्यार और विश्वास से थी वही जिंदगी सजानी

बने जब तुम हमसफर, ये ख्वाहिशें तो हकीकत थी हो ही जानी,
पर सपनों से सुंदर रच गया हर सच कि है तेरी मेरी ये प्रीत रुहानी

है खुदा से दुआ की रहे ये प्रेम ऋतु सदा सुहानी
सांसों में घुल जाएं और न हो ये यादें कभी भी पुरानी

है खुदा से दुआ की रहे सदा मीठी ये प्रीत की वाणी
धड़कनों में ढल जाए और बन जाए दास्तान-ए-रुमानी

वक्त लिखता रहे हमारी ये कहानी
कभी मैं दीवाना हूं कभी है तू दीवानी

-अंकित.

Our Story

Time began to write this tale of love’s design,
Sometimes I, the tempest; sometimes you, the shrine.

We built a world untouched by grief or gloom,
Where every instant with you was in full bloom.

No tears ever fell—just trust’s unyielding chain,
A life adorned with joy, untouched by pain.

When you became my companion, dreams were bound to become real,
But our truths surpassed dreams — this love is surreal.

I pray to God: Let this season of love stay sweet,
Let breaths dissolve it; may memories never retreat.

I beg the heavens: Let love’s voice forever chime,
Let heartbeats merge into a romantic tale of our time.

Let Time keep scripting us, wild and unchained —
Now I, the wildfire; now you, the ember framed.

Ankit.

सालगिरह

सालगिरह

कितनी भी हो मुश्किल बड़ी, कितना भी हो कठिन सफर
तर जाऊं दरिया आग का, है तेरा साथ तो मैं हूं निडर।

बढ़ती गहराई इस प्रीत की अब यूं नाप लेता हूं,
मैं तेरे साथ बीते लम्हों में अक्सर झांक लेता हूं।

वक्त की नदिया में हर साल बनता रहे वो बूंद ऐसे ही,
सागर हमारे प्रेम का भरता रहे बूंद दर बूंद ऐसे ही।

मेरी प्रार्थना में ईश्वर से मांग की बस है यही रीत,
.कि रहे साथ तेरा, हर क्षण हर पल मेरे मीत।

-अंकित.

Anniversary

No matter how great the difficulty, how arduous the journey, I guess,
I can cross the fiery river, for with your companionship, I am fearless.

I now measure the deepening depths of this love,
Oft by gazing into the moments we've shared, from above.

Like drops in the river of time, may the years keep adding,
The ocean of our love, drop by drop, they keep expanding.

In my prayers, this is the only request I make to the divine,
That your presence, my dear, may forever be entwined with mine.

Ankit.

मायने

मायने

हो तुम मेरी तो मेरे मायने हैं

हो हाथों में हाथ तो हर सुबह के मायने हैं
हो तुम हमसफर तो सफर के मायने हैं

हो तुम जिस पल साथ उस समय के मायने हैं
हो तुम्हारी खुशबू तो साँसों के मायने हैं

हो तुम्हारी मुस्कान तो निगाहों के मायने हैं
हो तुम्हारी तस्वीर तो यादों के मायने हैं

हो तुम करीब तो जज्बातों के मायने हैं
हो तुम साथ तो ख्वाबों के मायने हैं

हो तुम मेरी तो मेरे मायने हैं

अंकित.

Reason for existence

I exist because you are mine.

A morning is only meaningful when I have your hand in my hand,
A journey is meaningful with you as my companion no matter sea, air or land.

The only meanigful time is the seconds when you are around
My breath feels meaningful only when your fragrance is abound

Its your smile that gives meaning to my sight
Its your presence in my memories that sparkles bright

Its your being close that brings meaning to my emotions
Its only with you that my dreams start coming to fruition

I exist because you are mine.

-Ankit.

अनुरोध

अनुरोध

चलो ऐसे मीत की जीवन भर का साथ हो जाए,
मेरे दिल से निकले और तेरे दिल तक जा पहुंचे,
बिना बोले सिर्फ इशारों में,
हमारी सारी बात हो जाए।

मिलो ऐसे मीत हर बार
जैसे सालों की जुदाई थी,
रहो मुझ में तुम ऐसे कि बिन तेरे,
ना मेरी शिनाख्त हो पाए।

तुम्ही तुम हो मेरी सांसों में
तुम्ही हो मेरी धड़कन भी,
करो दुआ मीत ऐसी तुम की खुदा की हो इस प्यार पर रहमत,
या फिर फना मुहब्बत में अंकित अभी आज इसी पल यार हो जाए।

-अंकित.

रांझा

रांझा

जो आगे अपने किसी को कुछ न समझते थे कभी,
कसमों और रस्मों को उनको भी फिर निभाना तो पड़ा।

चुरा कर ले गए मेरा दिल जो थे कभी,
मिलने के लिए वक़्त उनसे फिर चुराना ही पड़ा।

जो कारवां से छूट कर पीछे रह गए थे कभी,
पूरा जीवन टूट कर अकेले उनको फिर बिताना ही पड़ा।

इमारतें और बंगले जो रेत से ढह गए थे कभी,
कर के मेहनत दिन रात उनको फिर बनाना ही पड़ा।

प्यार घायल परिंदे से हुआ हो कितना भी,
उसकी आज़ादी की खातिर उसे फिर उड़ाना तो पड़ा।

छुड़ा के सबसे दामन जो चले गए थे कभी,
दामन से उनकी यादों को फिर छुड़ाना ही पड़ा।

हर रोज़ की दौड़ में जो रुक गयी थीं कभी,
उन थमी हुई चाहतों को फिर चलाना तो पड़ा।

हुआ हो दर्द अपनों की बेवफाई से कितना भी,
गिले शिकवों को फिर भी मिटाना तो पड़ा।

हर नए पड़ाव पे जो बुन लिए थे कभी,
उन उमंगित सपनों को फिर सुलाना तो पड़ा।

मिटे हों रांझे पहले दुनिया में भले ही कितने भी,
इश्क़ में दीवानों को घर खुदा के फिर जाना ही पड़ा।

मेरे गीत की गहराई में जो खो जाते थे कभी,
आखिर खुदा को मुझे उनसे फिर मिलवाना ही पड़ा।

-अंकित.

खुशनुमा ज़िन्दगी

खुशनुमा ज़िन्दगी

बहुत खुशनुमा ज़िन्दगी हुआ करती थी,
कभी ग्यारह कभी बारह बजे नींद खुला करती थी

जब मेरी ज़िन्दगी में तुम आ गयीं,
मेरी रातों की नीद उड़ा गयीं

फिर भी बहुत खुशनुमा ज़िन्दगी हुआ करती थी,
के ख्वाब बिना नींद के आँखें देख लिया करती थीं

उस दिन जब हमारी शादी के लिए तेरी माँ हो गयी राजी,
तेरे बाप ने की खिट-पिट पर मेरे बाप ने मार ली बाज़ी

सर पे पहने सेहरा हो घोडी पर सवार आ गया घर तेरे,
सास ससुर ने रोते हुए किया कन्यादान पड़ गए फेरे

नयी ज़िन्दगी साथ गुजारने के हुए दृड़ जब इरादे,
पंडित ने संस्कृत में करवा दिए अनेक अज्ञात वादे

बहुत रोमांचक मोड़ पे ज़िन्दगी दिखा करती थी,
कभी सात कभी आठ बजे नींद खुला करती थी

बीते कुछ साल तो प्यारी हमारी बिटिया ज़िन्दगी में आ गयी,
इस बार मेरी रातों की नींद उसकी अंखियों में समां गयी

उसके नखरों और अदाओं में वक़्त गुज़र जाता,
कभी हंसती तो मैं हँसता वो रोती तो झुंझला जाता

अब उसकी जीवनी लिखने का ज़िम्मा मिल गया है,
कोई कुछ भी बोले काम कठिन ये भी बड़ा है

मेरे हर जवाब पे सौ नए सवाल खड़े करती है,
आजकल मेरे माथे की नस साफ़ दिखा करती है

उसको स्कूल पहुंचाने की हर सुबह रहती जल्दी है,
कभी पांच कभी छः बजे नींद खुला करती है

फिर भी खुशनुमा ज़िन्दगी बहुत लगती है...
फिर भी खुशनुमा ज़िन्दगी बहुत लगती है...

-अंकित

ये खबर लगती है

ये खबर लगती है

ये खबर लगती है
सुबह की हवा में घुले फूलों कि खुशबु की तरह
दिन भर की थकान मिटा देने वाली उस मुस्कान की तरह
रात के झींगुर की आवाज़ वाली लोरी की तरह

ये खबर लगती है
बरखा के पानी में मिले जल अमृत के चमत्कार की तरह
सांझ की धूल में मिले बच्चों के उत्साह की तरह
गर्मी की कड़कती धूप में बरगद की छांव की तरह

ये खबर लगती है
दिल की धड़कन में बसे दो प्रेमियों के प्रेम की तरह
तेरे होने के अहसास में मिलने वाली राहत की तरह
मेरे मीत को मेरे गीत में मेरी प्रीत के होते आभास की तरह

-अंकित.