२०१७
२०१७
साल पुराना जो बीता है, उसमें कुछ कड़वा कुछ मीठा था,
गुड़ का आभास इस कर था कि उसमें नीम यकीनन था।
रीत निभाता हुआ गत वर्ष नए को आज ताज पहनाता है,
पल पल ढलता हुआ वो नए वर्ष को यही सिखलाता है:
बस मीठा ही मीठा मत देना, थोड़ा नीम ज़रूरी है
प्रार्थना प्रभु से है मेरी की नया वर्ष यह सीख जरूरी ले,
सुख के आभास की खातिर थोड़ी परेशानी हम सबको दे।
लेकिन सभी जन के लिए मिश्रण का नाप कुछ ऐसा हो,
मीठीे यादों का सागर हो और नीम का बस एक तड़का हो।
ईश्वर करे आने वाला साल आपके और आपके सभी प्रियजनों के लिए लाभदायक एवं मंगलमयी हो।
-अंकित.