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2016

२०१७

२०१७

​साल पुराना जो बीता है, उसमें कुछ कड़वा कुछ मीठा था,
गुड़ का आभास इस कर था कि उसमें नीम यकीनन था।

रीत निभाता हुआ गत वर्ष नए को आज ताज पहनाता है,
पल पल ढलता हुआ वो नए वर्ष को यही सिखलाता है:
बस मीठा ही मीठा मत देना, थोड़ा नीम ज़रूरी है

प्रार्थना प्रभु से है मेरी की नया वर्ष यह सीख जरूरी ले,
सुख के आभास की खातिर थोड़ी परेशानी हम सबको दे।

लेकिन सभी जन के लिए मिश्रण का नाप कुछ ऐसा हो,
मीठीे यादों का सागर हो और नीम का बस एक तड़का हो।

ईश्वर करे आने वाला साल आपके और आपके सभी प्रियजनों के लिए लाभदायक एवं मंगलमयी हो।

-अंकित.

सीख

सीख

वो रिश्ते ही क्या जो किसी चीज़ के मोहताज़ हो जाएं
मशरूफ हम इतने भी नहीं की गिले शिकवे राज़ हो जाएं

कितना किसे मिलेगा इस धरती पर न इसका नाज़ हो जाए
करोगे क्या तुम उस नैमत से जरा इसकी भी लाज हो जाए

है सीख मेरे निर्माता की जो करे कर्म वो जांबाज़ हो जाये
है जुनूँ वो जांबाज़ होने का,तो या वो सच आज हो जाये

या फिर ऍ ख़ुदा मेरा भी कुछ इलाज़ हो जाये

-अंकित.

मैं

मैं

अपना अक्स जिसमे दिखे वो आइना बना दिया
हालात ने मुझको इतना कमीना बना दिया

पत्थर को जो तोड़े वो लोहा बना दिया
वक़्त की तपिश ने मुझे हथौड़ा बना दिया

चीर दे जो अँधेरे को वो जुगनू बना दिया
खुदा ने दिखने में मामूली एक कीड़ा बना दिया

सभी को जो चुभ जाए वो काँटा बना दिया
कुदरत ने मुझे गुलाब का पहरेदार बना दिया

बहुत सोचा बड़ा पूछा तो किसी ने जता दिया
बना के चाँद उनको मुझे चाँद का दाग बना दिया

-अंकित.