वो है मां
वो है मां
देवकी बन जाने से कोई यशोदा नहीं होती
जन्म देने भर से कोई मां नहीं होती
नखरे बालक के जो उठाए
अपनी नींद भुला उसको सुलाए
वो है मां
जिसको बच्चे की पुकार कोसों सुनाई दे जाए
जिसकी आवाज हर बार लोरी का काम कर जाए
वो है मां
जिसके दिल में प्यार का सागर असीमित हो
जिसका स्पर्श करता रोम-रोम प्रभावित हो
वो है मां
जिसके लिए ना आकार ना प्रकार रखते कोई माने हो
जिसकी नजर सचेत संरक्षण करे खतरे सभी मिटाने को
वो है मां
जिसमें हो साहस अपने अस्तित्व को भुलाने का
जिसका लक्ष्य हो सही राह दिखलाने का
वो है मां
गर है जीवन में तुम्हारे ऐसी कोई शक्ति
हो के नतमस्तक कर लो उसकी भक्ति
कि
वो है मां।
-अंकित.
English explanation
The poem begins with the line: "देवकी बन जाने से कोई यशोदा नहीं होती" (To be Devaki does not make one Yashoda).