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प्रेम-रस

चाहत !!!

चाहत

मेरा हर गीत ना समझ पाओ तो कोई बात नहीं,
मेरा हर अलफ़ाज़ समझ पाने की तुम्हारी चाहत काफी है ।

मेरी आवाज़ हर बार ना सुन पाओ तो कोई बात नहीं,
मेरी हर धड़कन में समाने की तुम्हारी चाहत काफी है ।

मेरा हर कोई ना दे पाए साथ तो कोई बात नहीं,
मेरा हर पल साथ देने की तुम्हारी चाहत काफी है ।

-अंकित

आशिकी !!!

आशिकी

कुछ ऐसा मिला मुक्कद्दर, मेरी आशिकी को,
मैं डूबता सूरज, आशिकी सुहाना मंज़र, और सागर का साहिल मेरे वो.

आशिकी का बनाते जाना, बेहद खूबसूरत नज़ारा मानो,
थमते जाना हर शख्स की साँसे, फिर उनकी सिसकियाँ जानो.

मेरी आशिकी का पिघल जाना, और बना देना सुनहरा अम्बर दीवाने को,
उनके आंसुओं का घुल के बना देना, नमकीन सागर के पानी को.

चले जाना दिला के एहसास, अपने होने का यूँ सब को,
भुला पाना जो हो मुश्किल, मेरी आशिकी का फ़साना वो.

अंकित.

साथी !!!

साथी

तू हर पल है या ओझल है ...
तेरा अहसास हर पल है ...

तू सचमुच है या माया है ...
तुझे हमेशा साथ पाया है ...

तू ध्वनि संगीत की है या सुर कोई सुहाना है ...
मेरे होठों पर साथी इक तेरा ही तराना है...

-अंकित.

आस !!!

आस

है जुनून कि उनको मीत हम बनाएँगे,
है यकीन वो मेरा गीत गुनगुनाएँगे

हर कदम उनका साथ मिलने पायेगा,
हर नज़र में विश्वास झिलमिलायेगा

माँ शादी का जोडा उनको भिजवायेगी,
उनकी रौशनी इस घर में जगमगायेगी

रस्में विदायी जब उनको रुलवायेगी,
मेरे आगोश में हर बेचैनी चैन पाएगी

अहसास होगा उनको तो बेताबी बढ ही जायेगी,
इस आस में रफ्ता-रफ्ता उम्र कट ही जायेगी

-अंकित

दीवाना

उस शख्स के बारे में जिसके लिए यह कविता कही गयी है:

जलती है शम्मा तो परवाने आ ही जाते हैं,
चलती है तू लहरा के तो दीवाने आ ही जाते हैं !!!
-अंकित

दीवाना

दीवाना हूँ मैं तेरे बिना जीं नहीं सकता,
तू है वो ख़्वाब कि जिसे में भुला नहीं सकता

परवाना हूँ मैं जलने कि किस्मत बदलवा नहीं सकता,
तू है वो गीत जिसे होंठों से जुदा करा नहीं सकता

पैमाना हूँ मैं ऐसा के आंखों से छलका नहीं सकता,
तू है जिंदगी का वो रंग जिसे मैं हल्का करा नहीं सकता

बेगाना हूँ मैं जिसे सिवा तेरे कोई अपना नहीं सकता,
तू है अंकित इस दिल में तुझे मैं हरगिज़ मिटा नही सकता

-अंकित

वो चंद घडी

वो चंद घडी

आये गए कितने ख़याल, वो चंद घडी ...
दीवाने का न पूछो हाल, वो चंद घडी ...

बनते गए इतने सवाल, वो चंद घडी ...
गए जवाब मेरी झोली में डाल, वो चंद घडी ...

उठी दिल में प्यास, जो आये मेरे पास वो चंद घडी ...
क्या हुआ होगा उनको अहसास, थी रुकी हमारी सांस वो चंद घडी ...

खेल किस्मत ने खेल कुछ अजीब, दिखा के नीर प्यासे को वो चंद घडी ...
न समझे वो हमें अपना रकीब, दुआ हर रोम से निकली वो चंद घडी ...

था ख्वाब में सोचा नहीं, हुआ ऐसा नज़ारा वो चंद घडी ...
बरसों के भटके हुए राही को, मिल गया हो जैसे किनारा वो चंद घडी ...

यकीन हमको हो चला कोई रिश्ता बन ही गया वो चंद घडी ...
खूबसूरत सी बला से सौदा दिल का हो ही गया वो चंद घडी ...

-अंकित।