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मीत !!!

मीत

तेरे स्वर में बंधे जो मेरे शब्द तो वो गीत है,
तेरे मुख से मेरे कर्ण तक जो पहुंचे वो संगीत है.

मेरे गीत का हर अक्षर मेरी प्रीत का प्रतीक है,
मेरी जीत का तभी अवसर जब मेरे मीत तू नज़दीक है.

-अंकित.

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