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निंदिया !!!

निंदिया

नैनों में निंदिया है
पर मुख पे है इनकार ...

स्वप्नलोक की अभिलाषी है
पर खेलने की है गुहार ...

सोने चली है मेरी नन्ही परी
पर दो कहानी का लगान बनेगा सरकार ...

-अंकित.

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