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याद

याद

जीवन के महाभारत में,
मैं अर्जुन तो याद सारथी है।

मेरा वर्तमान मेरी यादों से सुधरता है,
फिर भी उसका दामन छोड़ना तो पड़ता है।

नयी यादें बनाने के लिए
हर क्षण जीना पड़ता ही है।

-अंकित.

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