साक़ी
साक़ी¶
प्यास है बहुत अभी मुझमें बाकी,
मय कम न पड़ने पाए साक़ी,  
अभी भी है बहुत होश बाकी,
ना ख़त्म तेरा जोश होने पाए साक़ी।
-अंकित.
                    
                    
                      
                        
                          अंकित
                        
                      
                      प्यास है बहुत अभी मुझमें बाकी,
मय कम न पड़ने पाए साक़ी,  
अभी भी है बहुत होश बाकी,
ना ख़त्म तेरा जोश होने पाए साक़ी।
-अंकित.