दो-चार-लाइना¶
तुम्हारी याद
तुम्हारी याद
तुम्हारी याद जब आती है,
दिल में एक टीस उठाती है,
मन की शहनाई बजाती है,
और कविता खुद-ब-खुद बन जाती है।
-अंकित.
करवाचौथ का व्रत
करवाचौथ का व्रत
मेरी दीर्घायू के लिए क्यूँ तू ये कठिन संस्कार करती है ...
जब जानती है मेरी हर ख़ुशी को बस तू ही साकार करती है ...
मेरी दीर्घायू के लिए क्यूँ करवाचौथ का व्रत हर बार करती है ...
जब जानती है मेरी उम्र तो बस तेरे साथ की दरकार करती है ...
-अंकित.