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मायूसी

मायूसी

आग ज़हन में इतनी की सूरज को सुलगा दिया
प्यास दिल में इतनी की सागर को सुखा दिया

बेताबी मन में इतनी की मुर्दे को उठा दिया
मायूसी मुझ में इतनी की पत्थर को रुला दिया

-अंकित.

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