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भूला यार

भूला यार

भूले से भी जो याद अब हमको किया नहीं करते
सोचते हैं फ़रियाद आजकल यार क्यों कर नहीं करते

भुला पाना यार की फितरत के खिलाफ है माना
फिर भी यूँ इम्तेहान किस्मत का लिया नहीं करते

मिलने चले आओ कभी यार से बस यूँ ही
के मौके का इंतज़ार दोस्ती में किया नहीं करते

-अंकित.

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