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लोकपाल

अन्ना हजारे के आन्दोलन से मैं पूरी तरह सहमत हूँ और मेरी ये कविता उनके ही प्रयास को समर्पित है. वो एक ऐसे बुजुर्ग हैं जिन्होंने देश की हरेक पीढ़ी को समान रूप से प्रभावित किया है और उनके आन्दोलन व उनकी समस्त टीम पर जिस प्रकार से नित नए इलज़ाम थोपे जा रहे हैं वह निश्चय ही एक घिनौनी साजिश है. जिस व्यक्ति ने सब कुछ त्याग कर देश को जीवन समर्पित कर दिया हो उसके साथ ऐसा व्यहवार सत्ताधारी नेताओं की सोच की दुर्गति दर्शाता है.

लोकपाल

यहाँ अभी इसी वक़्त तुम बिन संशय ये संकल्प करो
भ्रष्टाचार मिटाने के निश्चय को एकदम दृड़ करो

निकल पड़े हो विजय मार्ग पर तो अपनी आवाज़ बुलंद करो
धर्म भाषा वर्ग और प्रादेशिक मतभेदों को बंद करो

क्या हो तुम भ्रष्ट? - हर चुने अपने नेता से अब तुम ये सवाल करो
मांगो प्रभावशाली लोकपाल विधेयक, और सशक्त लोकपाल अतिशीघ्र चुनो

रहो संगठित इतना की तुम खुद भी एक मिसाल बनो
करने दो षड़यंत्र कपटियों को, तुम बस गाँधी की चाल चलो

रहो अहिंसा के मार्ग पर सदा ही, ना कोई तुम वार करो
आखिर जीत तुम्हारी होगी, तुम सच्ची जयकार करो

-अंकित.