मेरी माँ
मेरी माँ¶
सूर्य पवन जल अम्बर और धरती - इन सबको जो नतमस्तक कर दे
दुःख, दर्द, तनाव और निराशा - इन सब को जो मिथ्या कर दे
है वो सच्चाई मेरी माँ
जिसके त्याग से संभव हूँ मैं
जिसके श्रम की मूरत हूँ मैं
है वो सच्चाई मेरी माँ
सुखद स्मृति मेरा बचपन
मेरी हर हठ जिसका जीवन
है वो सच्चाई मेरी माँ
ताप करे शीतल नरम हथेली की जो शक्ति
जिसके ज्ञान की मैं हूँ अभिव्यक्ति
है वो सच्चाई मेरी माँ
बिना कहे ही जो सब सुन ले
उधडे रिश्तों को जो सिल दे
है वो सच्चाई मेरी माँ
सुख मेरा जिसको हर्षाये
दुःख मेरा जिसके नयन तराये
है वो सच्चाई मेरी माँ
जिसके अंक में है नहीं गणित
जिसके मन मैं हर पल अंकित
है वो सच्चाई मेरी माँ
सूर्य पवन जल अम्बर और धरती - इन सबको जो नतमस्तक कर दे
दुःख, दर्द, तनाव और निराशा - इन सब को जो मिथ्या कर दे
है वो सच्चाई मेरी माँ
-अंकित.