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सवाल

सवाल

खफा नहीं हूँ मैं,
बस कुछ सवाल मन में हैं।

क्यूँ है ऐसा की रंग की दीवार हर जन में है?
धर्म की दरार क्यूँ जब परवरदिगार सब में है?

नफरत का जहर क्यूँ जब प्रीत का अमृत हर दिल में है?
क्यूँ प्रेमियों के जनाजे और दहशतगर्दों की बरात दर पर है?

जानवर का इंसान से ज्यादा समझदार लगना, क्यूँ कर है?
बुद्धिजीवी ही इस दुनिया में लाचार और बीमार क्यूँ कर है?

धर्म विद्वान् कहते हैं खुदा के घर में देर है अंधेर नहीं है,
तो फिर अत्याचार बेहिसाब, नहीं कोई विराम, क्यों कर है?

खफा नहीं हूँ मैं,
बस कुछ सवाल मन में हैं।

-अंकित.

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