दिल्ली 2015
दिल्ली 2015¶
खुशनुमा बड़ा होता ये माहौल लगता है
उन्नति का सपना होता साकार लगता है
भ्रष्टाचार का वक़्त होता समाप्त दिखता है
स्वराज का बोल बाला दिल्ली में साफ़ दिखता है
आम आदमी का देश में होता सम्मान लगता
है केंद्र सरकार का ध्वंस होता अहंकार लगता है
आजादी के हर साल का होता हिसाब दिखता है
67 साल पर 67 सीट दिल्ली का प्यार दिखता है
-अंकित.