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मेरी बिटिया - साल द्वित्य !!!

मेरी बिटिया - साल द्वित्य

दिन प्रतिदिन देखते सुनते वो कुछ नया सीखती जाती है
हो रही है बड़ी वो अब नए भावों को दर्शाती है …

अब शब्दों का उसे मोल पता है,
नित नयी शब्दावली सुझाती है …

सही शब्द बतला देते हैं तो
कंठस्त कर हमको ही सिखलाती है …

संगीत से भी प्रेम बहुत है
हिंदी फिल्मों में भी रूचि दिखाती है …

अंग्रेजी लय में मिश्रित हिंदी भाषा के
लोरी और गीत भी गाती है …

जब भी कोई चीज़ नयी मिले, बाबा को फ़ोन लगाती है
“Web-cam” के जरिये चाचा, अम्मा और बाबा को सारी बात सुनाती है …

गुडियाघर में खुद माँ बनके गुडिया को नहलाती है
माँ के जैसे ही बना के खाना अपनी गुडिया को खिलाती है …

रोज़ दोपहर मुझे दफ्तर में माँ से फ़ोन लगवाती है
“Papa come home quickly quickly” की गुहार लगाती है …

जब दोपहर के खाने पर मुझे घर में नहीं पाती है
तब माँ को दिखा घडी “Where is Papa?” कह कर हाथ घुमाती है …

मेरे घर में घुसते ही ख़ुशी से शोर मचाती है
“Papa has come” बोल बोल कर माँ को खींच खींच ले आती है …

कभी “ringa ringa roses” कभी “पकडो पकडो ” खिलवाती है
कभी अपनी गुडिया के लिए बनाया हुआ खाना मुझे खिलाती है …

सुनते सुनते वही एक कहानी ख्वाबों में खो जाती है
थोडी चंचल थोडी नटखट लेकिन अतिभोली, मेरी बिटिया ऐसे सो जाती है …

-अंकित.

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