कविता संग्रह¶
मेरी बिटिया !!!
मेरी बिटिया !!!
कभी हंसती है कभी रो जाती है ...
देवगणों कि भाषा में किलकारी लगाती है ...  
मन गदगद हो जाता है जब नित नए भाव दर्शाती है ...
देख अपने खिलौनों को इतराती है इठलाती है ...  
नहीं कोई द्वेष उसके दिल में बस प्यार झिलमिलाती है ...
नहीं कोई छलावा उसके मन में बस विश्वास जताती है ...  
अपनी माँ कि आहट सुनके आंखें गोल मटकाती है ...
छोटी सी अपनी बाहों को ऊपर उठा माँ को बहुत रिझाती है ...  
मुझे पाके अपने आसपास खुश हो के वो मुस्कुराती है ...
गोदी में आने को फिर बहुत लालायित हो जाती है ...  
अपनी जिव्हा को होंठों तले दबा नटखटपना दिखलाती है ...
ध्यान आकर्षित करने को जोरों से शोर मचाती है ...  
जब बात नहीं बनती कोई झूठे आँसू टपकाती है ...
ऐसे वैसे कैसे कैसे अपनी बातें मनवाती है ...  
नहीं बोलती अभी मुख से आंखों से कथा सुनाती है ...
बातें ऐसे करते करते मेरी बिटिया सो जाती है ...  
-अंकित ।
आस !!!
आस
है जुनून कि उनको मीत हम बनाएँगे,
है यकीन वो मेरा गीत गुनगुनाएँगे  
हर कदम उनका साथ मिलने पायेगा,
हर नज़र में विश्वास झिलमिलायेगा  
माँ शादी का जोडा उनको भिजवायेगी,
उनकी रौशनी इस घर में जगमगायेगी  
रस्में विदायी जब उनको रुलवायेगी,
मेरे आगोश में हर बेचैनी चैन पाएगी  
अहसास होगा उनको तो बेताबी बढ ही जायेगी,
इस आस में रफ्ता-रफ्ता उम्र कट ही जायेगी  
-अंकित
क्या जाने !!!
क्या जाने
ऍ पत्थर के दिल वाले वादों का मोल तू क्या जाने,
भरी महफिल में जो शख्स अकेला है वहशत उसकी तू क्या जाने  
बंद महलों में सोने वाले शबनम का मोती तू क्या जाने,
शौक शिकार का रखने वाले हिरनी कि दहशत तू क्या जाने  
प्यार दिलों का सौदा है ये तू सौदागर क्या जाने.
जिसको नही खौफ क़यामत का वो उसका रुतबा क्यों माने?  
-अंकित
जिन्दगी !!!
जिन्दगी
हर लम्हा बुनता है एक कहानी,
उस कहानी को अपने गीतों में संजोने का नाम है जिन्दगी.  
सब गम में पिया करते हैं,
जश्न मानाने के लिए पीने का नाम है जिन्दगी.  
जिन्दगी का हर पल बहुत खास है,
ये अहसास हो जाने का नाम है जिन्दगी.  
-अंकित
हर कदम
हर कदम
जिसकी कल्पना से संसार का हर रंग है,
जिसकी गायकी का एकदम निराला हर ढंग है,
जिसकी मुरलिया से ब्रिज की हर बाल में छाती उमंग है,
वो इश्वर हर कदम संग है !!!
जिसका कर्म ही हर बुराई पर जंग है,
जिसका हर रूप सदा करता दंग है,
जिसका हो ध्यान तो कुछ भी होता नहीं भंग है,
वो इश्वर हर कदम संग है !!!
जिसका राह दिखाता हर जीवन प्रसंग है,
जिसकी महिमा गाती हर मृदंग है,
जिसके बल से बहती हर जल तरंग है,
वो इश्वर हर कदम संग है !!!
-अंकित।
बाँध नहीं सकते
बाँध नहीं सकते
संसार कि माया
मृत्यु का साया
नश्वर ये काया  
प्रीतम कि प्रीत को
मीत के गीत को
प्यार के संगीत को  
बाँध नहीं सकते
धुंधला नहीं सकते  
चाहे उम्र का पड़ाव हो
चाहे जीवन का ठहराव हो
चाहे डूबती साँसों कि नाव हो  
प्रीतम कि प्रीत को
मीत के गीत को
प्यार के संगीत को  
बाँध नहीं सकते
धुंधला नहीं सकते  
-अंकित
सुनायी देती है उसकी आवाज़
सुनायी देती है उसकी आवाज़
वर्षा के बरसते पानी में
गरज़ते बादलों कि आकाशवाणी में
सागर कि लहरों के हरेक अंदाज़ में
सुनायी देती है उसकी आवाज़ ....  
ऊंचे गगन में उडती चिड़िया के गीत में
खेलते बच्चों कि हंसी हार और जीत में
दो प्रेमियों कि दबी दबी लेकिन सच्ची प्रीत में
सुनायी देती है उसकी आवाज़ ....  
गरमी से थके इन्सान को वृक्ष से मिली राहत में
वो तेज़ हवा के गुजरने से गिरते पत्तों कि सरसराहट में
वो माँ कि लोरी सुनके हर बालक को आती नींद के राज़ में
सुनायी देती है उसकी आवाज़ ....  
-अंकित
होली कि हार्दिक शुभकामनाएं !!!
होली !!!!
रात का पकड़ के हाथ सूरज ने नभ का किया तिलक लेके लाल रोली
हुआ सवेरा घर कि देहड़ी पर माँ रचा रही है रंगोली  
ख़ुशी का है माहौल छायी है मुस्कान लगे अभी हर सूरत भोली
बढती घड़ी के साथ निकल गयी पहले बच्चों कि टोली  
गुलाल भरे हाथों से पक्के रंग कि पुडिया किसी ने पानी में जब घोली
मुस्कान बन गयी हंसी और सुनके ठहाके सभी ने खिड़कियाँ हैं अब खोली  
जीजा के संग साली, देवर के संग भाभी और कहीँ खेल रहे हैं दो हमजोली
कहीँ गानों का है शोर कहीँ गुंजिया का है ज़ोर कोई पिए भांग कोई खाए भांग कि गोली  
किसने किसको किस रंग से रंग दिया पता चलता नहीं साबका दिल है बस बोल रह प्यार कि बोली
जीवन रंगों का खेल हर रंग चढ़े उतर जाये बस प्यार का रंग रह जाये हरेक झोली  
यही सिखा रही है रंग हंसी और उमंग से भरा खूबसूरत त्यौहार - होली
-अंकित