मेरी बिटिया - साल प्रथम !!!!
मेरी बिटिया - साल प्रथम¶
माँ को मम्मा मुझको पप्पा कह कर वो बुलाती है ....
सीख़ रही है हिंगलिश हमसे थोड़ा थोड़ा बतियाती है ...
भारत में दादा - दादी से मिलके अब वो आई है ....
दादा को बब्बा, चाचू को मनु और दादी को अम्मम्म बताती है ...
चार पैर के हर जीव को "भौ" बोल कर ऊँगली से दिखाती है ...
श्यामा पालतू हमारे घर की मेरी नन्ही गुडिया से घबराती है ...
लगी है चलने स्वयं आजकल यहाँ वहाँ चलती चली जाती है ...
डगमग डगमग चलते बढ़ते बड़ा उधम मचाती है ...
पहुँच जाती है रसोईघर में वो माँ का हाथ बंटाती है ...
उसकी पहुँच के सारे बर्तन राशन निकाल निकाल ले आती है ...
जब मैं घर आ जाता हूँ तो पकडो पकडो की रट लगाती है ...
पकङम पकड़ाई खेल खेल के फ़िर वो थोड़ा थक जाती है...
पहुँच जाती है सीधा अब वो कंप्युटर खुलवाती है ...
बब्बा से बात करनी है अब अपने अंदाज़ में बताती है ...
अपने आंसू पुन्छ्वाने के लिए दादा दादी को रिझाती है ...
उन्ही बब्बा को अम्मम्म को ये अपनी यादों से रुलाती है ...
भोली है प्यारी है सबकी आंखों का तारा बन जाती है...
अब वो अपने मुख से दिन भर की कथा भी सुनाती है ...
करके दिनभर भाग दौड़ वो रात तक थक जाती है ...
कभी मम्मा और कभी पप्पा के गले लग के मेरी बिटिया सो जाती है ...
- अंकित।