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कवितायेँ

दीवाली २०१५

दीवाली २०१५

प्रभु से प्रार्थना मेरी बस इतनी है,
हर घर जले दीपक, अन्धकार का नामोनिशान मिट जाए।

मिटे गरीबी और अशिक्षा आज धरती से,
धर्म के ठेकेदारों का किस्सा बस तमाम आज हो जाये।

खून से रंगा कभी फिर ना अखबार नज़र आये,
उज्जवल भविष्य सभी का हो, कुछ ऐसा चमत्कार हो जाए।

प्रभु से प्रार्थना मेरी बस इतनी है, हर घर जले दीपक,
अन्धकार का नामोनिशान मिट जाए।

आपको और आपके प्रियजनों को मेरी तरफ से
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !!!

-अंकित.

आज़ादी

आज़ादी

शहीद हुए जो देश की आज़ादी की खातिर
हुकूमत उनको दीवाना अराजक बुलाती थी

गोरों ने ऐसी चाल चली आज़ादी मिली स्वराज नहीं
भ्रष्टाचार की बिमारी ने सोने की चिड़िया के पर क़तर दिए

आज आजादी है कहने को लेकिन माँ बेटी की लाज नहीं
धर्म की आड़ में देखो आदम जीवन का मोल नहीं

देश गोरे व्यापारी चला रहे थे तब शहीदों ने ठानी थी
देश व्यापारी चला रहे हैं अब कुछ सरफिरे आगे आये हैं

सम्पूर्ण आज़ादी उनका मकसद है और पाने में वो सक्षम हैं
स्वराज मिलेगा जब सबको उस दिन के जश्न का मैं अभिलाषी हूँ

तब तक मेरा नमन उन्हें जिनकी शहादत कुछ रंग ले आई
तब तक मेरा नमन उन्हें जो उस जस्बे को वापस ले आए

-अंकित.

गद्दार

गद्दार

जिंदगी का खेल खेलने में नहीं,
फर्क इसमें है की खिलाड़ी क्या सोचते हैं

मैं सिर्फ जीत सोचता हूँ और बाकी,
मेरी हार के पल में अपनी ख़ुशी खोजते हैं

मुझे हरा सके अब ऐसे दुश्मन कहाँ दिखते हैं,
हुई यदि हार तो कारण सदा द्रोही ही बनते हैं

खंज़र उनके हाथों सने खून में हर बार दिखते है,
जो बुला कर दोस्त पीछे पीठ पर वार करते हैं

किस्मत अच्छी है मेरी के मेरे दोस्त कम बनते हैं,
लेकिन जो बनते है वो कभी भी गद्दार नहीं निकलते हैं

-अंकित.

भूला यार

भूला यार

भूले से भी जो याद अब हमको किया नहीं करते
सोचते हैं फ़रियाद आजकल यार क्यों कर नहीं करते

भुला पाना यार की फितरत के खिलाफ है माना
फिर भी यूँ इम्तेहान किस्मत का लिया नहीं करते

मिलने चले आओ कभी यार से बस यूँ ही
के मौके का इंतज़ार दोस्ती में किया नहीं करते

-अंकित.

मेरी बिटिया - वर्ष अष्टम

मेरी बिटिया - वर्ष अष्टम

आठ वर्ष की हो गयी है बड़ी समझदारी दर्शाती है
बचपन थोडा ही है बाकी सोच आँखें नम हो जाती हैं

अंग्रेजी की ही पकड़ अधिक है मुझे dadda माँ को Mommy बुलाती है
हमारे पालतु Magic से भी प्यार बहुत है, उसे छोटा भाई बुलाती है

पढ़ने का भी शौक बड़ा है किताबों में खो जाती है
संगीत से भी प्रेम उसे है piano पर अपनी कृति बनाती है

नया सीखने का जोश है उसमें कठिन सवाल उठाती है
यदि हमसे उत्तर न मिल पाये wikipedia पर जाती है

गणित इतिहास विज्ञान सभी विषयों में रूचि दिखाती है
क्योंकि करती मदद सभी की है, टीचर उसे St. Avni बुलाती है

बाबा अम्मा से मिलने को अकसर व्याकुल हो जाती है
फिर फ़ोन मिलवा कर बाबा से घंटो तक बतियाती है

Cooking में भी रुझान है उसका नए desserts सुझाती है
करती है पहल और Mommy का किचन में हाथ बंटाती है

हर दिन नया कुछ सीखती सुनती वो बड़ी होती जाती है
हर रात अभी भी उसको dadda की गोदी ही भाती है

दिनभर की कथा सुनाते हुए स्वप्नलोक चली जाती है
गोदी में ऐसे ही बैठे बैठे मेरी बिटिया सो जाती है

-अंकित.

दिल्ली 2015

दिल्ली 2015

खुशनुमा बड़ा होता ये माहौल लगता है
उन्नति का सपना होता साकार लगता है

भ्रष्टाचार का वक़्त होता समाप्त दिखता है
स्वराज का बोल बाला दिल्ली में साफ़ दिखता है

आम आदमी का देश में होता सम्मान लगता
है केंद्र सरकार का ध्वंस होता अहंकार लगता है

आजादी के हर साल का होता हिसाब दिखता है
67 साल पर 67 सीट दिल्ली का प्यार दिखता है

-अंकित.

नववर्ष 2015

नववर्ष 2015

हो रीत वही, पर सोच नयी,
हो मीत वही, पर जीत नयी।

मेरे भाव वही, पर शब्दांजलि नयी,
है शुभवसर वही, पर प्रार्थना नयी।।

वर्तमान में उज्जवल भविष्य की कल्पना लिए,
मेरी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं आपके लिए !!!

-अंकित.

शुभ दीपावली

शुभ दीपावली

दोगुना, चौगुना मिले फल श्रम का व आधे आपकी खरीद के दाम हों,
विनायक की हो कृपा व शीघ्र, शुभ, निर्विघ्न हर काम हो।

हंसी, मुस्कुराहट व चैन की नींद आपके समीप हों,
माँ लक्ष्मी की हो कृपा व धन की वृद्धी असीम हो।

जगमगाते दीप , फुलझड़ी, अनार व मिठाइयाँ आपके जश्न में शरीक हों,
है प्रार्थना कि ये दीवाली सभी के लिए सुख समृद्धी, उन्नती व खुशियों का प्रतीक हो।

-अंकित.

मतदान

मतदान

भाषा अलग धर्म अलग जाती अलग
देश तो एक है मगर सोच सबकी है अलग

देश से बढ़कर भाषा नहीं धर्म नहीं जाती नहीं
जिससे देश बंट जाये ऐसी सोच तो हरगिज़ नहीं

हिंसा बुरी गुंडागर्दी बुरी रिश्वतखोरी बुरी
इन कृत्यों में शरीक जो राजनीती वो सबसे बुरी

बुरा सुनना, बुरा कहना, बुरा देखना सब है बुरा
कर्त्तव्य से मुंह मोढना इन सबसे ज्यादा बुरा

मतदान सिर्फ अधिकार है यह सोचना होगा गलत
अपना कर्त्तव्य इसको न मान के वोट न करना सबसे गलत।

वोट करें, देश की उन्नति में ये एक बहुत बड़ा योगदान है।

-अंकित.

लघु पंक्तियाँ

लघु पंक्तियाँ


ना मारो मुझे पत्थर की तुम्हे तकलीफ पहुंचेगी,
जो मेरी जान निकली तो तुम्हारी रूह कुरेदेगी।


मेरे महबूब तेरे दीदार को एक अरसे से तरसे हम,
बरसों बरस बाद बादल भी जो बरसे तो बरसे कम।


किया मेरी मुहब्बत ने उनको दीवाना यूँ
वो ले बैठे भरी महफिल में नाम मेरा;
अदा उनकी नादाँ लगती ना जाने क्यूँ
जिसकी हिफाज़त बना है अब काम मेरा।


चमत्कार होते हैं यदि आस्था रखो तो,
सारे काम होते हैं निष्ठा यदि सच्ची हो,
होगा प्रगतिपथ पर देश,
स्वराज लाके तुम देखो तो।


आज भी हम सबके दिलों में प्यार बाकी है
दिखा दो दुनिया को धर्म बाँट सकता नहीं
कि अभी भी इन्सानियत पर
देख लो सबका विश्वास बाकी है

कोई ये ना सोचे कि
वो हिन्दू है, मुस्लमान है, सिख है या इसाई
सोचे तो बस ये सोचे की
भारतीय होने का क्या अभी गर्व बाकी है।


चिंता करना व्यर्थ है
क्यूंकि ये चुनाव नहीं संघर्ष है,
क्रांति का शुभारम्भ है,
तुम इसमें साथी साथ हो,
इसका मुझे हर्ष है।


अभी सिर्फ शुरुआत है और उमड़ा इतना जनसैलाब है,
भरी सिर्फ हुंकार है तो घबरायी भ्रष्टाचारियों की जमात है।


मदिरा से मंदिर तक, चोरी से रिश्वतखोरी तक,
हथकंडे सभी अपनाते हैं कांग्रेस से बीजेपी तक,
करो पापियों का बहिष्कार,
चुनो आप की सरकार।


युवाओं को काम मिले शिक्षा के साथ
न्याय सबको मिले दवा व इलाज़ के साथ
स्वच्छ पानी सर पे छत सुरक्षा के साथ
सुन्दर सुखद भारत स्वराज के साथ


नमो नमो के जाप को छोड़ो,
बेईमानी के साथ को छोड़ो।

धार्मिक मतभेद को छोड़ो,
स्वराज से अपने आप को जोड़ो।


जीत का दम भी भरते हैं और करोणों स्वाहा भी करते हैं।
गर जीत सुनिश्चित है तो चुनाव से पहले ये गठबंधन क्यूँ करते हैं?


राजनीति का अंदाज़ बदल दो, राज के बदले स्वराज को बल दो,
भारत की तकदीर बदल दो, किसी और के बदले आप को बल दो।


वादे प्रगतीशील खुशहाल भारत के जब भ्रष्ट नेताओं के हवाले हो गए,
सपने उन्नति के धार्मिक मतभेद और वंशवाद में स्वाहा हो गए।


-अंकित.