Skip to content

कवितायेँ

बाँध नहीं सकते

बाँध नहीं सकते

संसार कि माया
मृत्यु का साया
नश्वर ये काया

प्रीतम कि प्रीत को
मीत के गीत को
प्यार के संगीत को

बाँध नहीं सकते
धुंधला नहीं सकते

चाहे उम्र का पड़ाव हो
चाहे जीवन का ठहराव हो
चाहे डूबती साँसों कि नाव हो

प्रीतम कि प्रीत को
मीत के गीत को
प्यार के संगीत को

बाँध नहीं सकते
धुंधला नहीं सकते

-अंकित

सुनायी देती है उसकी आवाज़

सुनायी देती है उसकी आवाज़

वर्षा के बरसते पानी में
गरज़ते बादलों कि आकाशवाणी में
सागर कि लहरों के हरेक अंदाज़ में
सुनायी देती है उसकी आवाज़ ....

ऊंचे गगन में उडती चिड़िया के गीत में
खेलते बच्चों कि हंसी हार और जीत में
दो प्रेमियों कि दबी दबी लेकिन सच्ची प्रीत में
सुनायी देती है उसकी आवाज़ ....

गरमी से थके इन्सान को वृक्ष से मिली राहत में
वो तेज़ हवा के गुजरने से गिरते पत्तों कि सरसराहट में
वो माँ कि लोरी सुनके हर बालक को आती नींद के राज़ में
सुनायी देती है उसकी आवाज़ ....

-अंकित

होली कि हार्दिक शुभकामनाएं !!!

होली !!!!

रात का पकड़ के हाथ सूरज ने नभ का किया तिलक लेके लाल रोली
हुआ सवेरा घर कि देहड़ी पर माँ रचा रही है रंगोली

ख़ुशी का है माहौल छायी है मुस्कान लगे अभी हर सूरत भोली
बढती घड़ी के साथ निकल गयी पहले बच्चों कि टोली

गुलाल भरे हाथों से पक्के रंग कि पुडिया किसी ने पानी में जब घोली
मुस्कान बन गयी हंसी और सुनके ठहाके सभी ने खिड़कियाँ हैं अब खोली

जीजा के संग साली, देवर के संग भाभी और कहीँ खेल रहे हैं दो हमजोली
कहीँ गानों का है शोर कहीँ गुंजिया का है ज़ोर कोई पिए भांग कोई खाए भांग कि गोली

किसने किसको किस रंग से रंग दिया पता चलता नहीं साबका दिल है बस बोल रह प्यार कि बोली
जीवन रंगों का खेल हर रंग चढ़े उतर जाये बस प्यार का रंग रह जाये हरेक झोली

यही सिखा रही है रंग हंसी और उमंग से भरा खूबसूरत त्यौहार - होली

-अंकित

दीवाना

उस शख्स के बारे में जिसके लिए यह कविता कही गयी है:

जलती है शम्मा तो परवाने आ ही जाते हैं,
चलती है तू लहरा के तो दीवाने आ ही जाते हैं !!!
-अंकित

दीवाना

दीवाना हूँ मैं तेरे बिना जीं नहीं सकता,
तू है वो ख़्वाब कि जिसे में भुला नहीं सकता

परवाना हूँ मैं जलने कि किस्मत बदलवा नहीं सकता,
तू है वो गीत जिसे होंठों से जुदा करा नहीं सकता

पैमाना हूँ मैं ऐसा के आंखों से छलका नहीं सकता,
तू है जिंदगी का वो रंग जिसे मैं हल्का करा नहीं सकता

बेगाना हूँ मैं जिसे सिवा तेरे कोई अपना नहीं सकता,
तू है अंकित इस दिल में तुझे मैं हरगिज़ मिटा नही सकता

-अंकित

हमारे दोस्त रजनीश

हमारे दोस्त रजनीश

एक हैं हमारे दोस्त रजनीश,
मिली है उनको ग्रुप में सांप की पोस्ट।

सांप होने के उनको हैं फायदे without cost,
जब देखो किसी को भी डस के हो जाते हैं suddenly वो lost।

पहचाने जाते हैं वो और एक नाम से,
लेना देना हांलाकि इसका नहीं कुछभी उनके काम से।

उनका मिठास भरे लहजे में हर बात कहना,
बना गले की आफत और पड़ा नामे "बहना"।

बहुत धैर्य रखके पड़ा उनको सहना,
hibernation में इस वज़ह से पड़ा उनको रहना।

लेकिन बहुत वीरता से की उन्होंने fight,
साध ली चुप्पी जो थी choice right।

चुप्पी से उनकी पहचान ऐसी बदली,
ओशो नाम ने उनकी करी बहुत हालत पतली।

ओशो नाम का भी हुआ बहुत हल्ला,
पड़ा बहना से भरी छुड़ाना ओशो से पल्ला।

कुछ भी कहो हैं इंसान ये बहुत अच्छे,
नाम है सांप पर हैं दिल के बहुत सच्चे।

मज़ाक हमने किया है, खफा हमसे न होना,
पहले कर दो माफ़, फिर बिल में जाके रोना।

-अंकित।

काल

काल

हर कतरा कतरा जीने को मुझे गम के आंसू पीने दो ...
यूं लम्हा लम्हा जीने को एक जाम मुझे और पीने दो ...

हर महफिल महफिल हंसने को मुझे तनहाई में रोने दो ...
यूं जिंदा जिंदा दिखने को मुझे कभी काल से मिलने दो ...

हर साहिल साहिल मिलने को मुझे दरिया से सागर बनने दो ...
यूं गगन गगन में उड़ने को मेरे प्राण पखेरू उड़ने दो ...

-अंकित

कैसी ज़िन्दगी

कैसी ज़िन्दगी

भूख से बिलखती हुई,
ठण्ड में ठिठुरती हुई,
ग़म में तड़पती हुई,
रोटी कपडे और मकान की
दूकान सी ज़िन्दगी।

शमा सी जलती हुई,
वक़्त सी बढती हुई,
उम्र सी ढलती हुई,
साल-महीने-दिन और पल की
मेहमान सी ज़िन्दगी।

-अंकित।

वो चंद घडी

वो चंद घडी

आये गए कितने ख़याल, वो चंद घडी ...
दीवाने का न पूछो हाल, वो चंद घडी ...

बनते गए इतने सवाल, वो चंद घडी ...
गए जवाब मेरी झोली में डाल, वो चंद घडी ...

उठी दिल में प्यास, जो आये मेरे पास वो चंद घडी ...
क्या हुआ होगा उनको अहसास, थी रुकी हमारी सांस वो चंद घडी ...

खेल किस्मत ने खेल कुछ अजीब, दिखा के नीर प्यासे को वो चंद घडी ...
न समझे वो हमें अपना रकीब, दुआ हर रोम से निकली वो चंद घडी ...

था ख्वाब में सोचा नहीं, हुआ ऐसा नज़ारा वो चंद घडी ...
बरसों के भटके हुए राही को, मिल गया हो जैसे किनारा वो चंद घडी ...

यकीन हमको हो चला कोई रिश्ता बन ही गया वो चंद घडी ...
खूबसूरत सी बला से सौदा दिल का हो ही गया वो चंद घडी ...

-अंकित।

जगह

जगह

पलक आंख की झपकती है, आहट जगह बना रही है ...
ख्वाहिशों कि बस्ती है,हकीकत जगह बना रही है ...

दीवानों की मस्ती है, मेहनत जगह बना रही है ...
हर अहसास की हस्ती है, मुहब्बत जगह बना रही है ...

कीमत बहुत जान की सस्ती है, जन्नत जगह बना रही है ...
छोटी जीवन की कश्ती है, मुस्कराहट जगह बना रही है ...

-अंकित