एक हैं हमारे दोस्त रजनीश,
मिली है उनको ग्रुप में सांप की पोस्ट।
सांप होने के उनको हैं फायदे without cost,
जब देखो किसी को भी डस के हो जाते हैं suddenly वो lost।
पहचाने जाते हैं वो और एक नाम से,
लेना देना हांलाकि इसका नहीं कुछभी उनके काम से।
उनका मिठास भरे लहजे में हर बात कहना,
बना गले की आफत और पड़ा नामे "बहना"।
बहुत धैर्य रखके पड़ा उनको सहना,
hibernation में इस वज़ह से पड़ा उनको रहना।
लेकिन बहुत वीरता से की उन्होंने fight,
साध ली चुप्पी जो थी choice right।
चुप्पी से उनकी पहचान ऐसी बदली,
ओशो नाम ने उनकी करी बहुत हालत पतली।
ओशो नाम का भी हुआ बहुत हल्ला,
पड़ा बहना से भरी छुड़ाना ओशो से पल्ला।
कुछ भी कहो हैं इंसान ये बहुत अच्छे,
नाम है सांप पर हैं दिल के बहुत सच्चे।
मज़ाक हमने किया है, खफा हमसे न होना,
पहले कर दो माफ़, फिर बिल में जाके रोना।
-अंकित।