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कविता संग्रह

अब

मैजिक मेरे लिए मेरा बेटा था और मुझे उसके जाने से जो दर्द है, वो लोगों को समझ ही नहीं आता।

दो दिन पहले किसी ने बोला - "अब तो आपको आगे बढ़ना होगा, दो सप्ताह हो गए हैं।"

यदि किसी का रिश्तेदार गुज़र जाए, तो भी दो सप्ताह में कोई नहीं कहता कि आगे बढ़ना होगा। ऐसे लोगों के लिए वो एक कुत्ता मात्र है और मेरे लिए कुत्ते इंसानों से बेहतर हैं। बुरा लगा लेकिन कुछ बोला नहीं और कविता में अपने भाव लिख लिए।

मायने

मायने

हो तुम मेरी तो मेरे मायने हैं

हो हाथों में हाथ तो हर सुबह के मायने हैं
हो तुम हमसफर तो सफर के मायने हैं

हो तुम जिस पल साथ उस समय के मायने हैं
हो तुम्हारी खुशबू तो साँसों के मायने हैं

हो तुम्हारी मुस्कान तो निगाहों के मायने हैं
हो तुम्हारी तस्वीर तो यादों के मायने हैं

हो तुम करीब तो जज्बातों के मायने हैं
हो तुम साथ तो ख्वाबों के मायने हैं

हो तुम मेरी तो मेरे मायने हैं

अंकित.

Reason for existence

I exist because you are mine.

A morning is only meaningful when I have your hand in my hand,
A journey is meaningful with you as my companion no matter sea, air or land.

The only meanigful time is the seconds when you are around
My breath feels meaningful only when your fragrance is abound

Its your smile that gives meaning to my sight
Its your presence in my memories that sparkles bright

Its your being close that brings meaning to my emotions
Its only with you that my dreams start coming to fruition

I exist because you are mine.

-Ankit.

वादा

वादा

अक्सर सोचता हूं, कभी नहीं बोलता हूं

यादों में ईद दीवाली सभी मेरे त्योहार है
यादों का आइना यूं टूट जाता है मेरा
कि आज धर्म का ठेकेदार बताता है
कौनसा सा त्योहार मनाना है मुझे

सभी रिश्तों के मायने होना ज़रूरी तो नहीं
लेकिन बिना मायने के रिश्ते निभाना शायद मुमकिन तो नहीं

हर दोस्ती की अपनी गहराई होती है
लेकिन उस गहराई का नाप हो पाना शायद मुमकिन तो नहीं

नफरतों के बाज़ार में भाषा से रंग तक सब बिकता है
लेकिन धर्म से सस्ता और टिकाऊ शायद कोई हथियार तो नहीं

चलो आज मिल कर ये वादा कर लें
हमारे घरों में रोशनी हर त्योहार पर होगी
ना धर्म की बंदिश होगी ना भाषा की सीमा होगी
ना घृणा के लिए हमारे दिलों में जगह होगी
हां प्रेम और आदर की असीमित आपूर्ति होगी

-अंकित.

जड़

जड़

सिखा सकता है कौन पौधे को, क्या करना है कब किसको,
तू जड़ को जड़ ही रहने दे, उसको व्यर्थ ही चेतन ना कर।

जो लगे फल तो कभी गुमां ना कर,
फलों को गिन उनका विश्लेषण ना कर।

बदलती ऋतु में गिरते पत्तों का शोक ना कर,
संभाल वो जो हरे हैं, उनको भी रोक मत पर।

मोल रचेयता का चुकाना बन के मिट्टी, उनकी किस्मत है,
माली तू सींचते रह और सृष्टि पे विश्वास तो कर।

गर जड़ में जादू है तो हरियाली फिर से आएगी,
लेकिन जो सड़ चुकी हो जड़ तो मिट्टी कुछ कर ना पाएगी।

कर उसका त्याग नए पौधे को तू दे अब घर,
है तू माली और ये तेरी कर्मभूमि है,
जड़ को जड़ ही रहने दे, उसको व्यर्थ ही चेतन ना कर।

-अंकित.

खूबसूरत बला

खूबसूरत बला

मेरे माता पिता ने मुझे सदा ही ये सिखाया है
किसी लड़की का ना हो अपमान चाहे जान गंवानी पड़े

रहे कोशिश की घर की लक्ष्मी को कोई दुख ना हो
फिर रोटी सूखी चाहे खुद को क्यूं ना खानी पड़े

हूं ऐसे परिवार से, जहां फर्क नहीं है बहुओं से,
जहां लड़की जन्मी है दुआओं से तो ऐसे विचार फिर में रखता हूं,
औरत को समाधिकार समझता हूं
मज़ाक अपनी जगह सही है लेकिन,
अबला को बला नहीं समझता हूं

ना बुलाओ अबला को खूबसूरत बला,
किसी की बेटी किसी की मां है वो

जो कर दिया तुम्हे पाल के काबिल इतना
किसी औरत की मेहनत उसी की कला है वो

डूब जाते जिंदगी के तूफानों में हम
किसी देवी की दुआ है जो टला है वो

ना बुलाओ अबला को खूबसूरत बला,
किसी की बेटी किसी की मां है वो

-अंकित.

मेरी नन्ही परी

मेरी नन्ही परी

डर लगता था कभी जब होती थी खड़ी
और हाथ अचानक मेरा बन जाता था उसकी सुरक्षा कड़ी
वो मेरी नन्ही परी हो रही है बड़ी

अभी कल ही तो मेरी गोदी में आई थी
आज उसकी गहरी सोच हर्षाती है मुझे हर घड़ी
वो मेरी नन्ही परी हो रही है बड़ी

कल जो झूठमूठ के आंसुओं से अपनी बात मनवाती थी
आज सहेलियों की गुत्थियां सुलझाती है सहजता से बड़ी
वो मेरी नन्ही परी हो रही है बड़ी

कल झूठे फोन करवाती थी कहानियां पढ़वाती थी
आज फोन स्वयं कर लेती है और पुस्तकों से है दोस्ती बड़ी
वो मेरी नन्ही परी हो रही है बड़ी

कल जिस के हाथों को पकड़ के कलम चलवाई थी
आज उसी के हाथों से कागजों पर अद्भुत कृतियां चढ़ी
वो मेरी नन्ही परी हो रही है बड़ी

कल ही तो था कि वो हाथ छुड़ा के भागने को आतुर थी
आज नया शहर हो तो स्वत: उंगली पकड़ लेती है वो मेरी
हिरणी भी है शेरनी भी है चंचल भी है गंभीर भी है जो
वो मेरी नन्ही परी हो रही है बड़ी

-अंकित.

दोस्त पुराना

दोस्त पुराना

बड़ी मुद्दत के बाद आए हो,
घड़ी भी भूल बैठी जो,
तुम ऐसा वक़्त साथ लाए हो।

चलो बैठें कुछ देर कोने में,
दफना दिए थे जो जख्म गहराई में,
मना लें शोक उनका और हों शरीक रोने में।

कि एक बार हो जाए खत्म सारे गिले शिकवे,
तो कुछ नई बात भी होगी, नया दस्तूर निकलेगा,
कि थोड़ा हम गुदगुदाएंगे कि थोड़ा तुम मुस्कुराओगे।

ढलेगी शाम जैसे ही सुहानी रात के आंचल में,
ले जाएगी सारी काली यादें वो संग अपने,
रह जाएंगी किरणें खुशियों की हमारे आशियानों में।

अब आए हो तो कुछ मिल कर दुआ हम आज ये कर लें,
ना पुरानी दुखती बातें हो ना रहे नाराजगी बाकी,
बचपन की मासूमियत हो बस अब हमारे दोस्ताने में ।

-अंकित.

ठीक है

ठीक है

गिले शिकवे ठीक हैं, रूठना मनाना ठीक है;
नहीं ठीक हर रिश्ते का निभाना लेकिन।

जिस से महसूस हो पीड़ा हर पल,
उस रिश्ते का मिट जाना ठीक है।

करीबी की मोहताज नहीं दोस्ती हमारी,
कभी तुम्हारा कभी हमारा याद कर लेना ठीक है।

-अंकित.

मतिभ्रम

मतिभ्रम

नहीं मिलेगा सूकूं कभी जिंदगानी में, ये हकीकत तो जानता हूं मैं;
"क्या बनेगी बात मौत से रूबरू हो कर?" बस इसी सवाल से हर पल जूझता हूं मैं।

किसी से पूछ तो लेता मगर डर सभी से लगता है;
है किस से कौन सा रिश्ता, सोचना बेमाने सा लगता है;
जरा सोचो जरा समझो तो खून का रिश्ता तो बस कातिल से बनता है।

कभी ना किसी को जो सुनाई दे, वो सुनता रहता हूं मैं,
खुशहाल चहकती वादी में भी सिसकियां सुनता रहता हूं मैं।

सुबह के सूरज कि किरणों में अग्नि क्यूं कर मुझे ही दिखती है,
चमन भरा है फूलों से फिर कांटे क्यूं कर मुझे ही दिखते हैं,
रात के अंधियारे में क्यूं इंसानियत घुट घुट मरती मुझे ही दिखती है।

नहीं बूझता मुझे कुछ अब फिर भी सोचता रहता हूं मैं,
नहीं दिखता जो किसी को उस युद्ध की रणनीति बुनता रहता हूं मैं।

नहीं मिलेगा सूकूं कभी जिंदगानी में, ये हकीकत तो जानता हूं मैं;
"क्या बनेगी बात मौत से रूबरू हो कर?" बस इसी सवाल से हर पल जूझता हूं मैं।

-अंकित.

अनुरोध

अनुरोध

चलो ऐसे मीत की जीवन भर का साथ हो जाए,
मेरे दिल से निकले और तेरे दिल तक जा पहुंचे,
बिना बोले सिर्फ इशारों में,
हमारी सारी बात हो जाए।

मिलो ऐसे मीत हर बार
जैसे सालों की जुदाई थी,
रहो मुझ में तुम ऐसे कि बिन तेरे,
ना मेरी शिनाख्त हो पाए।

तुम्ही तुम हो मेरी सांसों में
तुम्ही हो मेरी धड़कन भी,
करो दुआ मीत ऐसी तुम की खुदा की हो इस प्यार पर रहमत,
या फिर फना मुहब्बत में अंकित अभी आज इसी पल यार हो जाए।

-अंकित.