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दोस्ती

आगाज़

आगाज़

कहाँ हो बोलो साथी, जवाब दो इस सवाल का
क्यूँ खामोशी की चादर ओढ़े हो, छोड़ो चुप्पी थाम लो दामन यार का।

कभी आवाज़ दो मुझको, कभी मेरा नाम पुकारो तुम,
दूरी सरहदों की भले ही मत तोड़ो, पर दिलों को जोड़ डालो तुम।

रखो विश्वास करो कोशिश, मेरी धड़कन अपने दिल में पा लो तुम
मेरी हर सोच में हो तुम, बस अपनी एक सोच में शामिल मुझको बना लो तुम।

उठाओ आवाज़ तुम अपनी, शामिल स्वयं ही होगा स्वर प्यार का
चिंता मत करो किसी दीवार की, होगा साकार हर सपना मेरे यार का।

अकेला खुद को मत समझो, हूँ हर पल साथ जानो तुम
खुदा के नेक बन्दे हो, कभी ना हार मानो तुम।

-अंकित.

दर्द, दोस्ती और दुआ

दर्द, दोस्ती और दुआ

नहीं बोलता कुछ क्यूँ
बड़ा खामोश बैठा क्यूँ
ये वो सोचता होगा
जो नहीं जानता होगा

तेरी ख़ामोशी को
मैं हर तरह से समझता हूँ
तेरे ग़म में मैं हूँ शामिल
तेरी खातिर कबसे तड़पता हूँ

बहुत करता हूँ कोशिश
तुझे खुश देख पाने की
बड़ा विशवास करता हूँ
फिर सुबह के लौट आने की

है तेरा दर्द
मेरे दिल का नासूर मेरे दोस्त
मिठे हर तकलीफ अब तेरी
खुदा से बस यही फ़रियाद करता हूँ

-अंकित।

शिकायत !!!

शिकायत

बड़े दिन हुए सरकार की झलक दिखी नहीं,
भुला बैठे वो हमें, या फुर्सत मिली नहीं?

माना नए दोस्त की है दोस्ती बहुत प्यारी,
पर पुराने यारोँ से भी रहे मुलाक़ात ज़ारी।

गर दिया शिकायत का मौका तो लगेगा सौबत सही नहीं,
के नए के लिए पुराने को भुला देना आदत भली नहीं।

-अंकित.

मेरा दोस्त !!!

मेरा दोस्त

है खूबसूरत दास्तान मेरी यारी की,
है अभी भी याद छोटी बड़ी बातें जो सारी की.

ये फसाना है दो दोस्तों के साथ का उनके प्यार का,
दो इंसानों का , उनके बीते लम्हों का, उनकी तकरार का.

बहुत याद आते हैं वो पल जब हम दोनों साथ हुआ करते थे
चाहे हो पढाई या आवारगी सब साथ किया करते थे.

उमर कम थी लेकिन करते थे जो मन में ठानी थी
लड़कपन था , नादानी थी कभी शराफत कभी शैतानी थी.

समय का पहिया चलता गया रास्ता बढ़ता गया
दूर दोस्त होता गया जिंदगी का सफ़र अलग तय होता गया.

दोस्त मेरा दूर है लेकिन दिल के पास है,
मेरी यादों में उसका हर पल एक एहसास है.

इन दूरियों को मिटाने का अवसर अगर मिल जाए तो,
वो पुराना बेबाक अंदाज़ फिर मैं मांग लूं.

अपने दोस्त के साथ दोबारा जीने के लिए,
मैं खुदा से भी झगडा जान लूं.

और सुनो , है यकीन की गर वो मेरे साथ हो, खुदा को भी उलझन में बस मैं डाल दूं.

है खूबसूरत दास्तान मेरी यारी की,
है अभी भी याद छोटी बड़ी बातें जो सारी की.

-अंकित

लेकिन !!!

लेकिन

भूल जाना तुझे मुमकिन तो नहीं,
लेकिन नामुमकिन को हकीकत करना तेरे लिए नयी अदा भी तो नही!!!

हो बहुत दूर लेकिन इस दिल से जुदा तो नही,
लेकिन फिर मैं कोई खुदा भी तो नही!!

तुझ से रूठना मेरी आदत तो नही,
लेकिन इसके सिवा मेरे पास कोई ताक़त भी तो नही !!!

उन साथ गुजारे लम्हों कि पास मेरे कोई निशानी तो नही,
लेकिन तेरे साथ कि आस बेमानी तो नही !!!

मेरी दोस्ती पुकारती है पर तू आता ही नही,
लेकिन क्या करूं इस दिल का जो और कुछ माँगता ही नहीं !!

ऐ मेरे दोस्त तेरी याद से आंखें भर आई,
लेकिन आंख के पानी से यादें धुन्धलायीं तो नहीं !!!

-अंकित

हमारे दोस्त रजनीश

हमारे दोस्त रजनीश

एक हैं हमारे दोस्त रजनीश,
मिली है उनको ग्रुप में सांप की पोस्ट।

सांप होने के उनको हैं फायदे without cost,
जब देखो किसी को भी डस के हो जाते हैं suddenly वो lost।

पहचाने जाते हैं वो और एक नाम से,
लेना देना हांलाकि इसका नहीं कुछभी उनके काम से।

उनका मिठास भरे लहजे में हर बात कहना,
बना गले की आफत और पड़ा नामे "बहना"।

बहुत धैर्य रखके पड़ा उनको सहना,
hibernation में इस वज़ह से पड़ा उनको रहना।

लेकिन बहुत वीरता से की उन्होंने fight,
साध ली चुप्पी जो थी choice right।

चुप्पी से उनकी पहचान ऐसी बदली,
ओशो नाम ने उनकी करी बहुत हालत पतली।

ओशो नाम का भी हुआ बहुत हल्ला,
पड़ा बहना से भरी छुड़ाना ओशो से पल्ला।

कुछ भी कहो हैं इंसान ये बहुत अच्छे,
नाम है सांप पर हैं दिल के बहुत सच्चे।

मज़ाक हमने किया है, खफा हमसे न होना,
पहले कर दो माफ़, फिर बिल में जाके रोना।

-अंकित।