दर्द, दोस्ती और दुआ
दर्द, दोस्ती और दुआ¶
नहीं बोलता कुछ क्यूँ
बड़ा खामोश बैठा क्यूँ
ये वो सोचता होगा
जो नहीं जानता होगा
तेरी ख़ामोशी को
मैं हर तरह से समझता हूँ
तेरे ग़म में मैं हूँ शामिल
तेरी खातिर कबसे तड़पता हूँ
बहुत करता हूँ कोशिश
तुझे खुश देख पाने की
बड़ा विशवास करता हूँ
फिर सुबह के लौट आने की
है तेरा दर्द
मेरे दिल का नासूर मेरे दोस्त
मिठे हर तकलीफ अब तेरी
खुदा से बस यही फ़रियाद करता हूँ
-अंकित।