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2009

मेरी बिटिया - साल द्वित्य !!!

मेरी बिटिया - साल द्वित्य

दिन प्रतिदिन देखते सुनते वो कुछ नया सीखती जाती है
हो रही है बड़ी वो अब नए भावों को दर्शाती है …

अब शब्दों का उसे मोल पता है,
नित नयी शब्दावली सुझाती है …

सही शब्द बतला देते हैं तो
कंठस्त कर हमको ही सिखलाती है …

संगीत से भी प्रेम बहुत है
हिंदी फिल्मों में भी रूचि दिखाती है …

अंग्रेजी लय में मिश्रित हिंदी भाषा के
लोरी और गीत भी गाती है …

जब भी कोई चीज़ नयी मिले, बाबा को फ़ोन लगाती है
“Web-cam” के जरिये चाचा, अम्मा और बाबा को सारी बात सुनाती है …

गुडियाघर में खुद माँ बनके गुडिया को नहलाती है
माँ के जैसे ही बना के खाना अपनी गुडिया को खिलाती है …

रोज़ दोपहर मुझे दफ्तर में माँ से फ़ोन लगवाती है
“Papa come home quickly quickly” की गुहार लगाती है …

जब दोपहर के खाने पर मुझे घर में नहीं पाती है
तब माँ को दिखा घडी “Where is Papa?” कह कर हाथ घुमाती है …

मेरे घर में घुसते ही ख़ुशी से शोर मचाती है
“Papa has come” बोल बोल कर माँ को खींच खींच ले आती है …

कभी “ringa ringa roses” कभी “पकडो पकडो ” खिलवाती है
कभी अपनी गुडिया के लिए बनाया हुआ खाना मुझे खिलाती है …

सुनते सुनते वही एक कहानी ख्वाबों में खो जाती है
थोडी चंचल थोडी नटखट लेकिन अतिभोली, मेरी बिटिया ऐसे सो जाती है …

-अंकित.

साथी !!!

साथी

तू हर पल है या ओझल है ...
तेरा अहसास हर पल है ...

तू सचमुच है या माया है ...
तुझे हमेशा साथ पाया है ...

तू ध्वनि संगीत की है या सुर कोई सुहाना है ...
मेरे होठों पर साथी इक तेरा ही तराना है...

-अंकित.

ये ज़िन्दगी !!!

ये ज़िन्दगी !!!

कभी साथ निभाना है,
कभी चलते अकेले जाना है,
ये ज़िन्दगी ...

कभी इंतज़ार में दिन बिताना है,
कभी शाम का मंज़र सुहाना है,
ये ज़िन्दगी ...

कभी दोस्ती बढ़ाना है,
कभी रंजिशें भुलाना है,
ये ज़िन्दगी ...

कभी ख़ुशी का खजाना है,
कभी घमों का छुपाना है,
ये ज़िन्दगी ...

कभी महबूब का मनाना है,
कभी खुद से रूठ जाना है,
ये ज़िन्दगी ...

कभी बारिश में भीग जाना है,
कभी धुप में नहाना है,
ये ज़िन्दगी ...

कभी बहु की अगुवाई है,
कभी बेटी की विदाई है,
ये ज़िन्दगी ...

कभी नए खून का आना है,
कभी बड़े बूढों का जाना है,
ये ज़िन्दगी ...

कभी थमता नया ज़माना है,
कभी बदलता वक़्त पुराना है,
ये ज़िन्दगी ...

कभी बच्चे को चलना सिखाना है,
कभी दादा को पलंग तक ले जाना है,
ये ज़िन्दगी ..

कभी हँसना हँसाना है,
कभी कठिन सा ताना बना है,
ये ज़िन्दगी ...

ईश्वर का खिलौना है,
सुख दुःख का बिछौना है,
ये ज़िन्दगी ...

-अंकित.

तो क्या कीजियेगा ???

तो क्या कीजियेगा

प्रियतमा नहीं साथ में,  
इसका जब अहसास हो,  
तो क्या कीजियेगा ???

रखवाला नहीं पास में,
इसका जब आभास हो,
तो क्या कीजियेगा ???

बियाँबान रेगिस्तान में  
उगलता आग आसमान हो, 
तो  क्या  कीजियेगा ???

दरख्तों के अभाव में,
ना छाँव का निशाँ हो,
तो क्या कीजियेगा ???

बिखरते लम्हों के शोर में,
चटकती जीवन की डोर हो,
तो क्या कीजियेगा ???

कठिन जीवन के मोड़ में, 
ना प्रभु का साथ हो, 
तो क्या कीजियेगा ???

-अंकित