राज़ राज़¶ कई राज़ दिल की गहराई में छुपा के रख्खे थे, हर राज़ को तेरी आँखों ने बेपर्दा कर दिया। तूने जुबान पर कितना पहरा बिठाया था, आँख के चोर दरवाज़े से फिर भी आंसू निकल गए। -अंकित. Comments