मुस्कुराहट
मुस्कुराहट¶
मुस्कुराने का जब सबब पूछा था मेरे यार ने,
बुरा लगा होगा सोच के क्या कमी थी प्यार में।
अग्नि जो दिल में लगा दी थी याद की पुकार ने,
आंख भर आती किसी की भी उस धुंए के गुबार में।
जब तक खुद चाहा ना हो परवरदिगार ने,
एक पत्ता तक तो हिलता नहीं संसार में।
दिया दिल टूटने का अहसास जब मुझे काल ने,
मुस्कुराहट तो बस ढली मेरे अश्रुओं की ढाल में।
प्यार करना आसान है बस समझा नहीं इंसान ने,
दर्द को परिभाषित किया मुस्कुराहट की ज़ुबान में।
-अंकित.