धूम्रडंडी !!!
धूम्रडंडी¶
पहली बार जब हाथ में उसको लिया,
उँगलियों के बीच उसको जब धारण किया,
कुछ अलग जज़्बात थे,
वो कुछ अलग अहसास था !!!
फिर लगा के लब से अपने जब उसको अग्नि का तर्पण किया,
जल रही थी उस छोर वो और इस छोर काश लम्बा लिया,
कुछ अलग जज़्बात थे,
वो कुछ अलग अहसास था !!!
पहली मुलाक़ात में ही कायल अपना कर लिया,
उम्र कटती रही और कातिल ने घायल हमको किया,
कुछ अलग जज़्बात थे,
वो कुछ अलग अहसास था !!!
आये दिन खांसी ने हमला जब हम पर किया,
हर घडी इस बला ने गिरफ्त में जब हमको लिया,
कुछ अलग जज़्बात थे,
वो कुछ अलग अहसास था !!!
मुक्ति पाने का इस वास्तु से फिर हमने जब निर्णय किया,
आदतें बदल देने का जब अडिग निश्चय किया,
कुछ अलग जज़्बात थे,
वो कुछ अलग अहसास था !!!
जलती धूम्रडंडी को आखिर छोड़ हमने है दिया,
पायी विजय अपने आप पर कामना पे काबू लिया,
कुछ अलग जज़्बात हैं,
ये कुछ अलग अहसास है !!!
-अंकित।