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नहीं मिलता !!!

नहीं मिलता

मिला पंडित मिला काजी
लेकिन बस खुदा मुझको नहीं मिलता ...

जो मिल जाए तो मैं पूछूँ तेरी रचना में ढूंढो तो
सिवा इंसानों के कभी कुछ भी गलत क्यूँ कर नहीं मिलता ...

क्यूँ तू अपने ही बन्दों से अपने ही बन्दों का अहित कराता है
बहुत ढूंढता हूँ मैं इसका कोई कारण नहीं मिलता ...

मिला फूल और मिला मुझे मैल गंगा में
जो ढूँढ़ते हैं सब वो जल अमृत नहीं मिलता ...

मिले हज यात्री और तीर्थ यात्री मुझको
लेकिन जो जाने तेरी चाहत को

जो माने तेरी हुकूमत को
कोई ऐसा पथिक नहीं मिलता ...

तेरी धरती को सभी से दर्द और तिरस्कार मिलता है
इस सुन्दर निर्माण को तेरे क्यूँ कभी आभार नहीं मिलता ...

अगर ढूंढो बहुत खोजो तो शायद रब भी मिलता है,
नहीं मिलता तो बस उसका बनाया हुआ
एक सच्चा इन्सान नहीं मिलता ...

-अंकित.

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