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नया जहाँ !!!

नया जहाँ

क्यूँ  आज  हर  मोड़  पैर  छाए  इतने  हैं  वीराने 
क्यूँ  ख्वाब  बनते  जा  रहे  हैं  फ़साने 
क्यूँ  हर  मोड़  पे  जलते  दिखे  हैं  आशियाने 
क्यूँ  अपने  भी  दिखाई  पड़ते  हैं  बेगाने 

कौन  सी  दुनिया  है  वो  जहाँ  खुले  हैं  मौत  के  वो  कारखाने 
कौन  हैं  ये  लोग  जो  रखते  हैं  हर  इंसान  को  अपने  निशाने 
कौन  से  खौफ  के  हाथों  रखे  हैं  गिरवी  ख़ुशी  के  वो  खजाने 
कौन  हैं  वो  जिसने  मेरी  ज़मीन  में  किये  इतने  बेगुनाह  दफ़न  न  जाने 

कर  दो  ख़तम  दहशतगर्दी  का  ये  दौर  के  अब  बुलाने  हैं  हसीं  वो  ज़माने 
कर  लो   बहाल  इंसानियत  का  वो  तौर  अब  बढा  लो  कदम  मिलने  मिलाने 
कर  दो  सारी  ख़तम   वो  रंजिशें  के  अब  हो  शुरू  सब  शिकवे  भूलने  भुलाने 
कर  लो  वादा  भूलने  हैं  वो  बहाने  के  अब  हम  चले  हैं  नया  जहाँ  बनाने 

-अंकित.

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