कैसी ज़िन्दगी कैसी ज़िन्दगी¶ भूख से बिलखती हुई, ठण्ड में ठिठुरती हुई, ग़म में तड़पती हुई, रोटी कपडे और मकान की दूकान सी ज़िन्दगी। शमा सी जलती हुई, वक़्त सी बढती हुई, उम्र सी ढलती हुई, साल-महीने-दिन और पल की मेहमान सी ज़िन्दगी। -अंकित। Comments